प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण सेमिनार
नई दिल्ली। राजस्थान के झालावाड़ कृषि विज्ञान केंद्र पर प्रकृतिक खेती विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बता दे कि कृषि विभाग की ओर 13 फरवरी और 14 फरवरी को किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यक्रम में 40 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया। जिसमें खेत खलिहान एवं पशुशाला से प्राप्त अपशिष्ट एवं अवशेषों को पुनः कृषि में अनुप्रयोग किया जाता है।
प्रकृतिक खेती विषय को संबोधित करते हुए विद्वानों ने किसानों से आग्रह किया कि इस खेती के माध्यम से मिट्टी में सुधार होता है। इसके साथ-साथ फसल भी पौष्टिकता से भरे पूरे होते है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास आयुक्त कैलाश चन्द मीणा ने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए सरकार के द्वारा चलाए जा रहे कृषि और बागवानी योजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं के माध्यम से किसान लाभ लेकर खेती के साथ-साथ मिट्टी का संरक्षण कर सकते हैं।
जैविक खेती उत्कृष्ठता झालावाड़ के कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. उमेश धाकड़ ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतक खेती में ढैंचा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है यह मिट्टी के जीवाश्म पदार्थ को सुचारू बनाए रखता है। इनके उपयोग से मृदा की शक्ति निरन्तर बनी रहती है। जिससे मृदा स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है।