महक परवेज ने बनाया बिना बिजली चलने वाला प्राकृतिक फ्रिज

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार हर साल लगभग 14 बिलियन डॉलर मूल्य की फसलें बेहतर रख-रखाव के अभाव में बर्बाद हो जाती हैं। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए बड़े और आधुनिक कोल्ड स्टोरेज छोटे गांवों की पहुंच से दूर हैं, जबकि शहरों के कोल्ड स्टोरेज में एयर कूलर और बिजली की भारी खपत होती है। इस तरह की समस्याओं का हल निकाला है 19 साल की महक परवेज ने। दरअसल महक ने एक प्राकृतिक फ्रिज बनाया है, जिसके लिए बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी।

महक का आविष्कार पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। यह ग्रिड-लेस टेक्निक बेस्ड है, जिसका नाम ‘सन हार्वेस्टेड कूल रूम्स’ रखा गया है। महक के मुताबिक, इस तकनीक से पारंपरिक भंडारण की तुलना में तीन गुना अधिक समय तक सब्जियां ताजा रह सकती हैं। चेन्नई में पली-बढ़ी महक ने एक बातचीत में बताया कि उनकी मां के पास दो एकड़ की जमीन है, जिस पर वे अकसर फसल को बेहतर रख-रखाव के अभाव में बर्बाद होते देखती थीं। उन्हें अपने काम के लिए यहीं से प्रेरणा मिली। प्राकृतिक फ्रिज को बनाने के लिए उन्होंने ड्राफ्ट ट्यूब, सीमेंट का कमरा और चिमनी का इस्तेमाल किया। तीन अलग-अलग प्रोटोटाइप बनाने के बाद उन्हें सफलता मिल गई। उनके ड्राफ्ट ट्यूब का हर हिस्सा चेन्नई में ही तैयार किया गया, फिर इन्हें एक साथ जोड़ा गया। चूंकि सन हार्वेस्टेड कूल रूम तकनीक स्टोरेज का एक सस्टेनेबल ऑप्शन है, इसलिए यह रेफ्रिजरेटर से निकलने वाली गैस को कम करने में भी मदद करती है।

महक के इस आविष्कार ने ‘ईको-इनोवेशन’ श्रेणी के तहत 2023 का लेक्सस डिजाइन अवार्ड भी हासिल किया। माना जा रहा है कि अगर महक के इस आविष्कार को बड़े स्तर पर उपयोग में लाया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज की परेशानी खत्म हो सकती है। महक का आविष्कार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है, जहां एक तरफ ऊर्जा की बचत होगी वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक फ्रीजर सिस्टम से निकलने वाली खतरनाक गैस (सीएफसी) की मात्रा भी पर्यावरण में कम होगी।