टमाटर की महंगाई से लें सबक, शुरू करें गार्डेनिंग

रवि प्रकाश मौर्य
नई दिल्ली। दक्षिण अमेरिका से निकलकर हमारे देश की रसोई में राज करने वाले वाले टमाटर के भाव आजकल आसमान पर हैं। खबरों की मानें तो इन दिनों यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, बंगाल और राजस्थान आदि कई प्रदेशों में टमाटर 130 से 150 रूपये किलो बिक रहा है, जबकि कई जगह 200 रुपये किलो से ऊपर है। फिलहाल ये कोई नई खबर नहीं है, बल्कि हर साल यही हल्ला होता है। ऐसे में विचार करने की बात ये है कि इससे हम सबक क्यों नहीं लेते? हम सब थोड़ी बहुत गार्डेनिंग क्यों नहीं कर सकते?

कई समस्याओं का एकमात्र हल है गार्डेनिंग
देखा जाए तो इस समय सिर्फ टमाटर ही नहीं, लगभग सभी सब्जियां महंगी हैं। ये आमतौर पर बरसात के सीजन में होता ही है, जब सब्जियों की आवक कम हो जाती है। अपनी छत या बालकनी या जहां भी आपके पास खाली जगह हों, वहाँ पर गमलों में कुछ सीजनल सब्जियां उगा कर आप इस समस्या से काफी हद तक निपट सकते हैं। अगर आप ये सब करने लगेंगे तो इससे न सिर्फ आपकी सेहत सही रहेगी, बल्कि आपको खाने में ताजा एवं कीटनाशक रहित जैविक सब्जियां भी मिलेंगी। इससे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा और आप कई बीमारियों से भी बचेंगे।

कैसे शुरू करें गार्डेनिंग?
अगर आपने तय कर लिया है कि आज से ही गार्डेनिंग शुरू करनी है तो मैं बताता हूँ कि आपको पहले क्या करना है। पहले आप ये देखिये कि आपके पास खाली जगह कहां है, फिर उसके हिसाब से गमलों या ग्रो बैग्स का चयन करिए। ये गमले या ग्रो बैग्स आपको किसी भी नर्सरी की दुकान से मिल जाएंगे। यहीं से आप कई सब्जियों की पौध भी ले सकते हैं और तकनीकी सलाह भी। इन दुकानों पर आपको जैविक खाद और जैविक दवाइयां भी मिल जाएंगी। ये सब ले आने के बाद आप गमलों को तैयार कर उनमें पौधे रोप सकते हैं। इसके बाद आपको रोज इन गमलों की देखभाल करनी है, जरूरत पड़ने पर पानी देना है और निराई-गुड़ाईं करनी है। इससे आपका व्यायाम भी हो जाएगा।

खुला है ऑनलाइन बाज़ार भी
गार्डेनिंग का शौक रखने वाले ऐसे बहुत से लोग हैं, जो गार्डेनिंग से संबंधित सारी चीजें ऑनलाइन ही मंगाते हैं। हालांकि इसमें कई बार धोखा खाने का चांस रहता है, इसलिए आप किसी विश्वसनीय प्लेटफार्म से ही ये चीजें खरीदें। देश स्तर पर नर्सरी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही ‘इंडियन नर्सरी मेन एसोशिएशन’ का फेसबुक पर एक पेज है, यहां से जुड़कर आप कई नर्सरी वालों से सीधे संपर्क कर सकते हैं और उनसे जरूरत की चीजें मंगा भी सकते हैं।

जगह के हिसाब से गार्डेनिंग का चुनाव
जगह के हिसाब गार्डेनिंग के अलग-अलग तरीके हैं। जब जगह छोटी हो तो उन पौधों का ही चयन करना उचित है, जो गमले की कम मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ें। पालक, मेथी, बैंगन, टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, गिलकी, भिंडी, करी पत्ता आदि कुछ ऐसी सब्जियां हैं, जो 5 से 10 इंच के गमलों में भी आसानी से लग जाती हैं। तुलसी, पुदीना, अजवायन, लेमनग्रास आदि औषधीय पौधे हल्के वजन वाले छोटे गमलों या ग्रो बैग्स में लगाए जा सकते हैं।

जगह कम होने पर करें वर्टिकल गार्डेनिंग
अगर बालकनी या छत पर जगह की कमी है, तो वर्टिकल स्पेस का प्रयोग उचित रहेगा। इसके लिए आजकल पॉकेट ग्रो बैग नाम से प्लान्टर आते हैं। इन्हें दीवार पर टांग कर पॉकेट में मिट्टी भरकर पौधे लगाए जा सकते हैं। बाजार में लोहे से या अन्य चीज से बने तरह-तरह के सीधे खड़े स्टैंड भी आते हैं, जिनमें आप छोटे गमले रखकर मनपसंद पौधों को उगा सकते हैं।

क्यारियों में करें गार्डेनिंग
अकसर देखा जाता है कि छत पर गार्डेनिंग करते समय गमले ज्यादा जगह घेर लेते हैं। ऐसे में छत पर सीमेंट की क्यारियां बनाई जा सकती हैं, या फिर रेक्टेंगुलर ग्रो बैग का उपयोग भी कर सकते हैं, जिसमें सब्जियां उगा सकते हैं। इस तरीके से उगाये गये पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अच्छी पैदावार मिलती है।

बेल वाली सब्जियों और पौधों को क्रीपर नेट पर उगाएं
यदि आप अपने गार्डेन में बेल वाली सब्जियों जैसे कि खीरा, करेला आदि को उगाना चाहते हैं, तो उन्हें क्रीपर नेट के सहारे बढ़ने देना चाहिए। क्रीपर नेट एक जाली है, जिस पर बेल के पौधे आसानी से बढ़ते रहते हैं और इससे जगह की भी बचत होती है। इस क्रीपर नेट को दीवाल या डंडों के सहारे आसानी से लगाया जा सकता है। बेल वाली सब्जियां और पौधे लगाने के लिये लोहे की जाली से भी अच्छा काम चल जाता है। क्यारियों या गमलों के पास लोहे की जाली लगाकर उस पर पौधों की बेल को सहारा दिया जा सकता है।

गमले तैयार करने और पौध लगाने का तरीका
पौध को लगाने के लिए सबसे पहले 50 प्रतिशत मिट्टी, 40 प्रतिशत गोबर की खाद, 10 प्रतिशत बालू लें और इन्हें अच्छी तरह से मिला लें। आप किसी नर्सरी से पोटिंग मिक्स या वर्मी कम्पोस्ट भी ले सकते हैं। फिर गमले या ग्रो बैग्स में तैयार मिट्टी के मिश्रण को डालें। पौध को लगाते समय ध्यान रखें कि उसकी जड़ न टूटे। इसे लगाने के बाद पानी देकर गीला कर दें। गमले में दोबारा पानी तभी दें, जब मिट्टी सूख जाये। ज़्यादा पानी से पौधे के सड़ने या गलने की आशंका रहती है। पौधों में हर महीने ऑर्गेनिक खाद जरूर डालें। इससे पौधे को विकसित होने में मदद मिलती है। ध्यान रहे कि गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ पौधे को 6 से 7 घंटे की धूप रोज़ मिलती रहे।