गोवा के मशहूर ‘मनकुराड आम’ को मिला GI Tag, बिकता है अल्फांसो से भी महंगा

ऑल गोवा मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन, पणजी ने ‘मनकुराड आम’ (Mankurad Mango) को जीआई टैग (GI Tag) द‍िलाने के ल‍िए आवेदन किया था। इस आम की कीमत अपने सीजन में 5000 से 6000 रुपये प्रति दर्जन तक पहुंच जाती है यानि एक आम 500 रुपये तक बिकता है।

रवि प्रकाश मौर्य
नई दिल्ली। “हम सभी कहते हैं कि अल्फांसो आम लोकप्रिय है, लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि मनकुराड आम उससे अधिक स्वादिष्ट है।” ये बात गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने पिछले साल महाराष्ट्र के गौरव ‘अल्फांसो आम’ पर कटाक्ष करते हुए कही थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि गोवा की मूल किस्म ‘मनकुराड आम’ (Mankurad Mango) का स्वाद अल्फांसो (Alphonso) से भी बेहतर होता है।
खैर, अब उन्हें गोवा के गौरव ‘मनकुराड आम’ (Mankurad Mango) के बारे में ये बात कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि ऑल गोवा मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन, पणजी के आवेदन पर ‘मनकुराड आम’ (Mankurad Mango) को जीआई टैग (GI Tag) मिल गया है। आवेदन 2020 में ही किया गया था। ‘मनकुराड आम’ को जीआई टैग मिलने से अब ट्रेडिंग करना आसान हो जाएगा और इससे गोवा को पहचान भी मिलेगी।

दक्षिण गोवा स्थित मडगांव के आम के थोक विक्रेता राजेश नाइक ने ‘नर्सरी टुडे’ से बातचीत में कहा कि, ‘मनकुराड गर्मियों के दौरान गोवा में सबसे अधिक मांग वाली आम की किस्मों में से एक है। बगीचे/यार्ड में मनकुराड का पेड़ होना घर के मालिक के लिए गर्व की बात मानी जाती है। यहां के कई आम किसानों के लिए मनकुराड आय का मुख्य स्रोत है।’

राजेश नाइक ने कहा कि ‘मनकुराड आम’ के बगीचे रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में पाए जाते हैं। यह स्वादिष्ट, पीला और आयताकार होता है और पकने पर इसमें काले धब्बे बन जाते हैं, जो इसे और खूबसूरत बना देते हैं। राजेश की मानें तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘मनकुराड आम’ अपने उच्च फाइबर और संतुलित चीनी सामग्री और एक समान पीले रंग के साथ गोवा में सबसे लोकप्रिय किस्म है, और अल्फांसो सहित दुनिया के किसी भी अन्य आम से बेहतर है। यही नहीं, मनकुराड आम की मांग महाराष्ट्र में भी है।

क्या है जीआई टैग?
जीआई टैग (GI Tag) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिए किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की खास विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण ही होती है। जीआई टैग म‍िलने के बाद कारोबार में आसानी होती है क्योंक‍ि लोकप्र‍ियता बढ़ जाती है इसील‍िए जब भी खेती की बात आती है तो जीआई टैगिंग भी उसका एक महत्वपूर्ण ह‍िस्सा बन जाता है।

‘खराब रंग’ से ‘बढ़िया स्वाद’ तक का सफर
आम की इस किस्म का मूल स्थान पणजी माना जाता है। मनकुराड आम को मैल्कोराडा, कार्डोज़ो मांकुराड, कोराडो और गोवा मांकुर के नाम से भी जाना जाता है। पुर्तगालियों ने इसका नाम ‘मालकोराडा’ रखा था, जिसका अर्थ है खराब रंग वाला, लेक‍िन वक्त के साथ यह कोंकणी में मनकुराड बन गया। मनकुराड बनने के बाद खराब रंग माना जाने वाला ये आम धीरे-धीरे लोगों को स्वाद में अच्छा लगने लगा। गोवा घूमने आने वाले बहुत से विदेशियों को ये भाने लगा। वे इसे खरीद कर अपने देश ले जाने लगे। चूंकि इसका उत्पादन कम है इसलिए ये बहुत महंगा बिकता है। फिलहाल मनकुराड आम को जीआई टैग (GI Tag) मिलने के बाद गोवा के क‍िसानों को इसका सीधा फायदा म‍िलेगा।