Green Credit से कमाएंगे किसान, एक टन कार्बन क्रेडिट बेचने पर मिलेंगे 600 से 700 रुपये
केंद्र सरकार वर्ष 2070 तक 100% शून्य कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार और अन्य प्राइवेट कंपनियों द्वारा इस काम को पूरा करने के लिए पैसे भी दिए जा रहे हैं.
नर्सरी टुडे डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय कृषि क्षेत्र इस समय जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की चुनौतियों से जूझ रहा है। सबसे बड़ी समस्या ये है कि बारिश का पैटर्न (Rain Pattern) ही बदल गया है और बारिश बेमौसम (Out of Season) हो रही है। कहीं एकदम सूखा तो कहीं बहुत अधिक बारिश से खेती बर्बाद हो रही है। समय पूर्व उच्च तापमान से गेहूं के उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है तो कम होते ठंड के समय से खेती के लिए कई और परेशानियां खड़ी हुई हैं। इस समस्याओं से निपटने के लिए सरकार और वैज्ञानिक कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है ग्रीन क्रेडिट (Green Credit)। केंद्र सरकार ने हाल ही में ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम का मसौदा जारी किया है, जिसका मकसद पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को जागरूक करना है।
‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम’ (Green Credit Program) के तहत लोगों को कम से कम कार्बन उत्सर्जन करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसका मुख्य मकसद पर्यावरण को शुद्ध करते हुए किसानों की आय को बढ़ाना है। इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम में न सिर्फ किसान बल्कि आम जनता भी भाग ले सकती है।
किसान इसका लाभ कैसे पाएं (How farmers can get benefit from it)
भारत सरकार वर्ष 2070 तक 100% शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में ग्रीन क्रेडिट (Green Credit) भी उसी कदम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार और अन्य प्राइवेट कंपनियों द्वारा इस काम को पूरा करने के लिए पैसे भी दिए जा रहे हैं।
जिंतेओ (Xynteo) के प्रिंसिपल अभिषेक झा ने इस बारे में बताया कि, ‘अभी तक हमने ये सुना है कि किसान को फसल बेचकर पैसे मिलते हैं, लेकिन अब वे ग्रीन क्रेडिट (Green Credit) को बेचकर भी पैसे कमा सकते हैं। कई कंपनी कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) को मिट्टी में खींचने और उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए जलवायु-अनुकूल रणनीतियों पर किसानों के साथ काम कर रही है। यह कंपनी कार्बन क्रेडिट बेचकर फाइनेंसिंग का काम पूरा करती है, साथ ही किसानों को इस कार्बन क्रेडिट का 75% मिलता है।
कितना पैसा मिलता है (How much money do you get)
इस काम को पूरा करने के लिए इस दिशा में काम करने वाली कंपनी सबसे पहले किसानों के खेतों का निरीक्षण करती है। फिर यह देखा जाता है कि यह खेत कितने टन कार्बन उत्सर्जित कर सकता है। फिर उसके आधार पर किसानों को ग्रीन क्रेडिट के लिए पैसा दिया जाता है। कार्बन क्रेडिट के लिए कुछ अहम दिशानिर्देश तय किए गए हैं। आमतौर पर किसानों को एक टन कार्बन क्रेडिट बेचने पर 600 से 700 रुपये मिलते हैं।
इस बारे में पूसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया है और लोगों से कमेंट मांगे गए हैं। किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य, पानी की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार के लिए कवर फसलें लगाने और जुताई कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे फसलों को ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रति अधिक लचीला बनाने में मदद मिल सकती है।
ग्रीन क्रेडिट के लिए कब शुरू हुई पहल (When did the initiative for green credit start)
ग्रीन क्रेडिट (Green Credit) के लिए बाजार-आधारित दृष्टिकोण का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य विभिन्न हितधारकों की स्वैच्छिक पर्यावरणीय गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है ताकि जल्द से जल्द वातावरण को प्रदूषण से मुक्त किया जा सके। केंद्रीय बजट 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊर्जा परिवर्तन और नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, साथ ही “ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम” की घोषणा की है।
वित्त मंत्री के बजट में ‘हरित विकास’ (‘Green Growth) शीर्ष सात प्राथमिकताओं में से एक था। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों द्वारा पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और उत्तरदायी कार्यों को प्रोत्साहित करके व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत अधिसूचित किए जाने वाले एक ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम का प्रस्ताव दिया था।