गुजरात में नारियल उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि

पिछले दस वर्ष में करीब साढ़े चार हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि में नारियल का उत्पादन

श्री राम शॉ

नई दिल्ली/अहमदाबाद। गुजरात में नारियल उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। राज्य में पिछले दस वर्ष में करीब साढ़े चार हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि में नारियल का उत्पादन हुआ है। राज्य सरकार ने नारियल उत्पादन बढ़ाने के लिए एक निर्धारित बजट के साथ गुजरात नारियल विकास कार्यक्रम शुरू किया है।

भारत में सबसे लंबी तटरेखा वाले गुजरात में पिछले दशक में नारियल के उत्पादन और बुवाई क्षेत्र में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई है। वर्ष 2012-13 में राज्य में नारियल का बुवाई क्षेत्र तक़रीबन 21 हजार हेक्टेयर था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 25 हजार हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है।

गुजरात में नारियल उत्‍पादन के संबंध में जानकारी देते हुए राज्य के बागवानी निदेशक पी.एम. वघासिया ने कहा कि विविध योजना और कार्यक्रम द्वारा राज्य सरकार किसानो को नारियल का उत्पादन लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है जिस के चलते राज्य में 21 करोड़ पक्के नारियल का उत्पादन हो रहा है।

राज्‍य सरकार किसान को लाभदायी जो स्‍कीम चला रही है। किसानों क‍े लिए तकरीबन 50 हजार का खर्च होता है उसका 75 पर्शेंट पर हेक्‍टेयर के हिसाब से डायरेक्‍ट तक फार्मर्स को मदद करती है। उन्होंने कहा कि उत्पादन का कुल 33 फीसदी हिस्सा दिल्ली, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों में निर्यात किया जा रहा है।

अहमदाबाद के जाने-माने पत्रकार व पर्यावरणविद इलेवन ठाकर ने Nursery Today को फ़ोन पर बताया कि आज विश्व नारियल दिवस है और इसके उपलक्ष्य में राज्य में एक अलग ही माहौल है। गुजरात में कच्छ से लेकर वलसाड तक का दरियाई क्षेत्र पूरे 1200 किलोमीटर का है जो सबसे लंबा है और यह गुजरात के पास है। इस पूरे क्षेत्र में बहुतायत संख्या में नारियल के पेड़ पाए जाते हैं। अतएव, यहाँ नारियल का प्रॉडक्शन बहुत अधिक होता है और इसका निर्यात भी बड़े पैमाने पर होता है। नारियल तेल की बहुत सारी फैक्टरियां पोरबंदर और दमन में भी में लगी हुई हैं। तटीय क्षेत्र जूनागढ़ और तीर सोमनाथ में नारियल से बनी हुई मिठाइयां विश्व प्रसिद्ध हैं। वलसाड, दमन, तीथल क्षेत्र के नारियल में पानी की मात्रा अधिक होती है और पानी मीठा भी होता है।