स्वच्छता व्यक्तिगत नहीं, समाज के लिए होनी चाहिए: पद्मश्री नरेश चंद्र लाल

श्री राम शॉ

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भांति उनका नाम भी ‘न’ अक्षर से शुरू होता है और वह अथक परिश्रमी एवं ‘कभी न हार मानने वाले’ जज्बे से ओत -प्रोत हैं। ‘अंडमान के एकलव्य’ नाम से मशहूर उस शख्सियत का नाम है – पद्मश्री नरेश चंद्र लाल। स्वच्छता के लिए उनका बहुमूल्य योगदान और सभी को एक साथ आने व नए भारत के निर्माण की दिशा में काम करने का उनका आह्वान कई लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन ला रहा है। इस अभियान में उनकी भागीदारी अन्य लोगों को देश भर में ‘स्वच्छता ही सेवा’ आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित कर रही है।

67-वर्षीय एवं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ऐतिहासिक महत्व की पवित्र भूमि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के धरती पुत्र नरेश चंद्र लाल की खुशी का उस समय कोई ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें अपने गुरु, दार्शनिक और मार्गदर्शक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र मिला। प्रधानमंत्री द्वारा भेजे पत्र (12 सितंबर, 2017) में लिखा है, मैं आपको एक ऐसे विषय पर लिख रहा हूं जो महात्मा गांधी के दिल के बहुत करीब है – स्वच्छता। स्वच्छ भारत सबसे महान सेवा है जो हम गरीबों, वंचितों और हाशिये पर पड़े लोगों के लिए कर सकते हैं। स्वच्छता मिशन एक ऐसा क्षेत्र है जहां आपका योगदान कई लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन ला सकता है। मैं व्यक्तिगत रूप से आपको ‘स्वच्छता ही सेवा’ आंदोलन को समर्थन देने के लिए आमंत्रित करता हूं। आपकी भागीदारी अन्य लोगों को भी इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करेगी। आइए, हम स्वच्छता के लिए एक साथ आएं और नए भारत के निर्माण की दिशा में काम करें।”

मोदी जी को गुरु द्रोणाचार्य मानते हुए नरेश चंद्र ने एकलव्य की तरह अपना सारा ध्यान प्रधानमंत्री की बातों की ओर लगाया और एकनिष्ठ निष्ठा व अत्यंत समर्पण के साथ वह अंडमान-निकोबार के लिए स्वच्छता अभियान के ब्रांड एंबेसडर बन गए। वह विगत छह साल से अधिक समय से अंडमान के हर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल में स्वच्छता के लिए लगातार जाते रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि आज उन विद्यालयों के विद्यार्थी साफ-सफाई, स्वास्थ्य-स्वच्छता तथा पर्यावरण स्वच्छता बनाये रखने के महत्व से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने द्वीप समूह के सभी अस्पतालों, सामान्य अस्पताल से लेकर आयुष पीएचसी, सीएचसी तक पर अपना ध्यान केंद्रित किया। वह मरीजों, तीमारदारों और चिकित्सा कर्मचारियों को स्वच्छता के बारे में जागरूक करने के लिए नियमित रूप से दौरा कर रहे हैं।

नरेश एक प्रसिद्ध फिल्म निमार्ता, निर्देशक, थिएटर कलाकार हैं और उन्होंने अंडमान में रामलीला के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई है। वह द्वीप के एकमात्र कलाकार हैं जिन्हें दो क्षेत्रों – फिल्म और थिएटर – में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए देश के विभिन्न क्षेत्रों की संस्थाओं ने भी उन्हें सम्मानित किया है। वह स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एम्बेसडर के साथ-साथ केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। वह व्यावसायिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि समाज और देश में बड़ा बदलाव लाने के लिए फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी करते रहे हैं।

प्रस्तुत है श्री राम शॉ के साथ उनके विशेष साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश…

लोगों से स्वच्छ सागर अभियान और समुद्र तट की सफाई गतिविधियों में मदद करने के लिए आपका क्या आह्वान है?

नरेश लाल : हमें जो भी मिलता है उससे हम अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन, हम जो देते हैं उसके द्वारा एक जीवन बनाते हैं। लोगों तक मदद का हाथ बढ़ाने और उन्हें ऊपर उठाने से बेहतर मन के लिए कोई उत्तम व्यायाम नहीं है। सबसे खुश लोग वे नहीं हैं जो अधिक पा रहे हैं, बल्कि वे लोग हैं जो अधिक दे रहे हैं। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितने समय तक जीवित रहते हैं। हम इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि हम कितने प्रभावी ढंग से जीते हैं।

स्वच्छ भारत मिशन को कैसे सफल बनाया जा सकता है?

नरेश लाल : स्वच्छता को अपनाकर ही स्वस्थ समाज व स्वस्थ राष्ट्र की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। स्वच्छता व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज के लिए होनी चाहिए। स्वच्छता को अपनाना, उसे प्रोत्साहित करना और साफ-सफाई में सहयोग करना प्रत्येक नागरिक की सामाजिक जिम्मेदारी है। स्वच्छ भारत मिशन को जनान्दोलन बनाकर ही सफल बनाया जा सकता है। विकसित राष्ट्रों ने हमेशा से स्वच्छता को विशेष महत्व दिया है। स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के लिए लोगों को जागरूक किया जाना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि जन सहभागिता प्राप्त करते हुए स्वच्छता कार्यक्रमों को एक जन आन्दोलन का स्वरूप प्रदान किया जाए। यह तभी सम्भव है जब समाज का प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक अपनी क्षमता के अनुरूप इस कार्य में सहयोग प्रदान करे। ऐसे कार्यक्रमों को सफल बनाने में सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संगठन और मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रत्येक नागरिक को वर्ष में कम से कम 100 घण्टे तथा सप्ताह में दो घण्टे श्रमदान अवश्य करना चाहिए।

बच्चों को आप क्या नसीहत देना चाहते हैं?

नरेश लाल : मैंने अपना पूरा ध्यान बच्चों पर लगाया है। केजी क्लास से लेकर कॉलेज के स्टूडेंट्स तक मैं जाता हूँ और उन्हें स्वच्छता के बारे में जागरूक करता हूँ। स्वच्छता को इन बच्चों की आदत बनाना चाहता हूँ, उनके अंदर ये बात इंजेक्ट करना चाहता हूँ कि स्वच्छता के प्रति हम सदैव अपना पूरा ध्यान रखें। अगर ये बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक हो जाते हैं तो जब इनके बच्चे होंगे तो उनके लिए कोई स्वच्छ भारत अभियान चलने की आवश्यकता नहीं होगी। वे पूरी तरह से स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे। मैं अंडमान द्वीपसमूह में रहकर एक जनरेशन तैयार कर रहा हूँ। जैसे कि वन महोत्सव में एक बड़े पेड़ के नीचे एक छोटा पेड़ लगाया जाता है ताकि वो पेड़ भी आगे जाकर बड़ा होकर एक दिन फल दे। मैं एक बड़े पेड़ के नीचे एक छोटा पेड़ लगाने की कोशिश कर रहा हूँ। वो पेड़ जो स्वच्छता के प्रति जागरूक पेड़ हो।

इस अभियान की सफलता किस बार पर निर्भर करती है?

नरेश लाल : मेरा मानना है कि स्वच्छता आदत में आनी चाहिए। स्वच्छता दिमाग में आनी चाहिए, यह बात मानसिक तौर पर उनके अंदर घर कर जानी चाहिए, तभी हम स्वच्छ भारत अभियान को कामयाब कर सकते हैं। चूंकि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पूरी तरह से समुद्र से घिरा हुआ है। यहाँ के लोगों से मैं हमेशा आह्वान करता हूँ कि आप अपना कचरा समुद्र में न डालें क्योंकि समुद्र निगलता नहीं है, बल्कि उगलता है। वो आप का कचरा आपके ही तटीय किनारे पर लाकर पटक देता है। इतनी बड़ी मात्रा में कचरा इकठ्ठा हो जाता है कि उसको उठाना मुश्किल हो जाता है। जो स्थान कचरे के लिए निर्धारित किये गए हैं, जहाँ डस्टबिन बनाये गए हैं – सूखा कचरा, गीला कचरा – इसके लिए आप नियोजित तरीके से उसी में डालिये। आप समुद्र में कचरे को न फेंके। अंडमान-निकोबार में स्कूली बच्चे अब स्वच्छता के प्रति बेहद गंभीर हैं और वे जागरूक भी हैं क्योंकि उनके हर क्लासरूम में एक डस्टबिन रखा है। कहीं से कोई कागज का टुकड़ा या चॉकलेट का रैपर भी किसी बच्चे को मिलता है तो वे उसे उठाकर क्लासरूम के डस्टबिन में डाल देते हैं। अब बच्चे अपने पैरेंट्स से कचरे को कूड़ेदान में ही डालने की अपील करते हैं। इस तरह की जागरूकता अंडमान में आ गयी है।

प्रधानमंत्री की ओर से प्रशंसा के शब्द आप के लिए क्या मायने रखते हैं?

नरेश लाल : मैं 15 नवंबर 2016 को ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया था। मैंने हमेशा नि:स्वार्थ भाव से काम किया है। मैं हर स्कूल-कॉलेज में कई-कई बार विजिट कर चुका हूँ। लेकिन मैंने सरकार से आज तक एक रुपया भी नहीं माँगा और न ही किसी एनजीओ से सहायता के लिए अनुदान मांगा है। मैं अपने ही खर्च पर सारे काम करता हूँ। चाहे गेस्ट हाउस में रहना हो, गाड़ी में पेट्रोल डालकर सुदूरवर्ती स्थान तक जाना हो – तो मैंने पूरी तरह से श्रमदान किया है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे कहा कि आप जिस सच्ची लगन और समर्पण की सच्ची भावना से देश के लिए काम कर रहे हो, उसे देश याद रखेगा। प्रधानमंत्री के ये शब्द मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।