विदेशी सेबों ने हिमाचल के बागवानों की तोड़ी कमर

नई दिल्ली: देश की मंडियों में विदेशी सेब आने से हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। अलग-अलग देशों से सस्ते सेब आ रहे हैं, जिससे हिमाचल के बागवानों को नुकसान हो रहा है। पहले हिमाचली सेब 4 हजार रुपये प्रति पेटी बिक रहा था, लेकिन अब विदेशी सेब की वजह से इसकी कीमत गिरकर 1800 से 2000 रुपये प्रति पेटी रह गई है। शिमला और किन्नौर के इलाकों से आने वाला सेब की कीमत गिरने के साथ साथ मांग भी घट गयी है।

देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य बड़ी मंडियों में ईरान से हर रोज़ 300 से 350 मीट्रिक टन सेब आ रहा है, जिसका लैंडिंग प्राइज 60 रुपए के करीब है। ईरान से आने वाले सेब की कीमत हिमाचल के सेब के मुकाबले बहुत कम है।  इस समय ईरानी सेब दिल्ली और दुसरे मंडियों में 60 से 70 रुपये प्रति किलो  के हिसाब से बिक रहा है।

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कम कीमत  पर उपलब्ध होने के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इसे खरीद कर खूब खा रहे हैं, जिससे हिमाचली सेब की मांग दिनों दिन घट रही है। इसी कारण मंडियों में हिमाचली सेब का भाव 2 हजार रुपये प्रति पेटी तक गिर गया है। ऐसे में बागवानों को सेब की फसल पर साल भर में किए गए खर्च को निकालना भी मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं उनका भविष्य भी अन्धकार में आ गया है।

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक पिछले साल मंडियों में ईरानी सेब का औसतन भाव 41.26 रुपए किलो रहा था। इस तरह ईरान से अच्छी क्वालिटी का सेब बाजार में लोगों को 55 रुपए किलो तक उपलब्ध हुआ था। जबकि दो साल पहले ईरान के सेब की कीमत 37.91 रुपए प्रति किलो था।

 

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