छत्तीसगढ़ की जलवायु भांग और गांजा की खेती के लिए उपयुक्त

रायपुर: छत्तीसगढ़ की जलवायु और भौगोलिक स्थिति गांजा-भांग (Cannabis sativa) की खेती के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है। यह बात सही है कि गांजा और भांग एक ही पौधे से जुड़े होते हैं, लेकिन इनका उपयोग अलग अलग ढंग से होता है। इसकी खेती, बस्तर क्षेत्र, अमरकंटक और जशपुर-अंबिकापुर के इलाकों में आसानी से होती है। भांग आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ साथ इसका उपयोग उद्योग और औषधि में खूब किया जाता है जो इसे एक खास पौधा बनाता है।

भांग की खेती  बहुत काम खर्च पर कि जा सकती है । यह एक मौसम वाली फसल है जिसे बारिश के मौसम में आसानी से उगाया जा सकता है। इस फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर सिंचाई हो जाए, तो पैदावार और भी अच्छी हो सकती है। यह फसल खरपतवार और कीटों से कम प्रभावित होती है, जिससे किसानों को कम देखभाल में ज्यादा उत्पादन मिल सकता है। भांग का पौधा बंजर और अनुपजाऊ जमीन को भी उपजाऊ बना सकता है, जिससे क्षेत्र की खेती की क्षमता बढ़ेगी।

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अगर भांग की खेती को नियंत्रित और कानूनी रूप से करवाया जाए, तो इससे अवैध तस्करी पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा, राज्य सरकार को भी इससे अच्छा राजस्व मिलेगा। भांग के निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी होगी और प्रदेश के किसानों की आय में भी इजाफा होगा। इसके रेशों से वस्त्र बनाने वाले कुटीर उद्योगों से नए रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकते हैं।

 

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