बागवानी की नई तकनीक से बदल रही है गोविंदपुरा गांव की तस्वीर
भीलवाड़ा: भीलवाड़ा जिले का गोविंदपुरा गांव आज बागवानी के क्षेत्र में मिसाल बन गया है। यहां के किसान बागवानी करके लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं और इनकी सब्जियों की मांग भीलवाड़ा से लेकर दिल्ली और मध्य प्रदेश के बाजारों तक हो रही है। किसान फोन पर ही सब्जियों का सारा व्यापार कर रहे हैं।
गांव के किसान हर नयी तकनीक को अपना रहे हैं, किसान छोटूलाल माली ने बताया कि वह अपने मकान की छत पर नर्सरी तैयार करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि गांव में अब कई किसान अपनी छतों पर शेडनेट लगाकर प्लास्टिक की ट्रे में कोकोपीट डालकर मिर्ची, भिंडी, टमाटर और अन्य सब्जियों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। कोकोपीट नारियल के छिलके के गूदे से बना जैविक पदार्थ है, जिसमें बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई की जाती है।
इसे भी पढ़ें: समुद्री शैवाल के प्रयोग से बागवानी फसलों की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार
एक दुसरे किसान शंकर माली ने बताया कि कोकोपीट में बीज बोने के बाद लगभग 25-30 दिनों में पौधा तैयार हो जाता है, जिसे खेतों में लगाया जाता है। खेत में गोबर की खाद डालने के बाद नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग किया जाता है। खेतों में ड्रिप लाइन बिछाकर नैनो यूरिया सहित अन्य तरल खाद पौधों की जड़ों में दी जाती है। इस तकनीक से काम लागत में अधिक उत्पादन मिलता है।
गोविंदपुरा के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, और अब वे बेहतर जीवन यापन कर रहे हैं। किसान सरकार की बागवानी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त सहायता मिलने के साथ साथ उनकी आर्थिक हालात में भी बहुत सुधार हुआ है। गोविंदपुरा गांव के किसानों की यह सफलता दिखाती है कि सही तकनीक और मेहनत से बागवानी के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है।