नारंगी की बागवानी से बिहार के किसानों की कमाई में वृद्धि

पटना: नारंगी की बात आते ही नागपुर का ख्याल सबसे पहले आता है। साइट्रस फ्रूट्स कि  मांग बढ़ रही है, यह फल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है इसलिए लोग इसका खूब सेवन कर रहे हैं। लेकिन अब बिहार के कई गांवों में नारंगी की  बागवानी की जा रही है। बिहार कृषि विभाग के अनुसार, शेरपुर गांव में पिछले कई वर्षों से नारंगी की खेती सफलतापूर्वक हो रही है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नारंगी की बागवानी किसानों के लिए फायदेमंद है, लेकिन वे अभी भी पारंपरिक तरीके से खेती कर रहे हैं। किसान बीज से पौधे उगाकर बागवानी कर रहे हैं, जिससे 8-10 साल में फल आते हैं और समय बर्बाद होता है। अगर किसान ‘गुट्टी विधि’ का उपयोग करें तो अगले साल से ही पौधे में फल आना शुरू हो सकता है।

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शेरपुर के किसान मुन्ना महतो बताते हैं कि उनके चाचा ने 24 नारंगी के पौधे लगाए थे, जिसमें से अब 6 पेड़ बचे हैं, जिससे हर साल 3 से 5 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। तीन साल पहले उन्होंने खुद भी 25 पेड़ों का एक नया बगीचा लगाया।

हर साल एक पौधे से 7 से 10 हजार रुपये तक की आमदनी होती है। एक किसान के अनुसार पिछले साल थोक में नारंगी की कीमत 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकी थी , जिससे 70 हजार रुपये की कमाई हुई। इस साल कीमत 15 रुपये है, इसलिए आमदनी थोड़ी कम होगी। एक कट्ठे में 10 पेड़ लगाए जा सकते हैं और आसपास के बाजारों में इन्हें बेचा जाता है। अच्छी कमाई को देखते हुए कई किसान नारंगी की  बागवानी की ओर आकर्षित हो रहे हैं।