वैज्ञानिकों का सुझाव: फूलों की खेती में स्मार्ट तकनीक अपनाएं

करनाल: देश में फूलों की खेती का रकबा बढ़ाने और इसे अधिक लाभकारी बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने स्मार्ट खेती को अपनाने का सुझाव दिया है। शोधकर्ताओं ने आगे कहा कि ‘इसके तहत ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेंसर-आधारित खेती, पॉलीहाउस और मशीनों के अधिक उपयोग जैसी तकनीकों को विकसित किया जाना बहुत ज़रूरी है’। साथ ही, खराब मिट्टी और जल-समस्याग्रस्त क्षेत्रों में भी फूलों की खेती को सफल बनाने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता है।

यह निर्णय महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय (एमएचयू) में हाल ही में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया गया, जिसका उद्देश्य बागवानी में स्मार्ट फार्मिंग समाधान तलाशना था। सम्मेलन के मुख्य अतिथि, एनडीआरआई के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने 16 राज्यों से आए वैज्ञानिकों और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि फूलों की खेती बागवानी का एक अहम हिस्सा है और इसका विस्तार जरूरी है। उन्होंने एमएचयू के कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह पहल किसानों के खेती के तरीकों में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होगी, जिससे पर्यावरण में भी सुधार आएगा।

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एमएचयू के कुलपति डॉ. सुरेश मल्होत्रा ने कहा कि फूलों की खेती, पर्यावरण और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। सम्मेलन में आरूही हर्बल की डॉ. पूनम सिंह ने फूलों से अगरबत्ती बनाने का एक प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया। वहीं, आईसीएआर के फ्लोरिकल एंड लैंड स्केपिंग डिवीजन के हेड डॉ. मार्कंडेय सिंह ने गुलाब की नई किस्म ‘पूसा नारंगी’ और मैरीगोल्ड की प्रदर्शनी की।

सम्मेलन में उल्लेखनीय योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित भी किया गया। उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, लोटस अवार्ड और सोसायटी फैलोशिप पुरस्कार जैसे सम्मानों से नवाजा गया।