फूलों की खेती से सीतामढ़ी के बैरहा गांव के किसानों की चमकी किस्मत

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले के  बैरहा गांव आज ‘मिनी कोलकाता’ के नाम से जाना जाता है। इस गांव की यह पहचान यहां बड़े पैमाने पर फूलों की खेती के कारण बनी है। कम आमदनी होने से यहाँ के किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़कर फ्लोरीकल्चर की तरफ अपना ध्यान लगाया। अब वही किसान गेंदा, मोगरा, रजनीगंधा जैसे फूलों की खेती कर अपनी किस्मत बदल रहे हैं।

बैरहा गांव के फूलों की मांग सीतामढ़ी से सटे कई ज़िलों में जैसे  मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, शिवहर, मोतिहारी में भी है। इतना ही नहीं नेपाल तक इन फूलों की सप्लाई हो रही है। आज के समय में गांव के कुल 40 एकड़ क्षेत्र में से 30 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती होती है, लगभग 125 किसान इससे जुड़े हुए हैं।

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किसानों का कहना है कि उनकी सबसे अधिक कमाई शादी-ब्याह और त्योहारों के मौकों पर होती है। इन दिनों डिमांड बहुत अधिक बढ़ जाती  है, जिससे अन्य गांवों से लोगों को काम के लिए बुलाना पड़ता है। एक बीघा में लागत निकालकर किसान एक लाख रुपये तक की बचत कर लेते हैं, जो पारंपरिक फसलों की तुलना में बहुत अधिक मुनाफा देती है।

फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार  किसानों को बीज और अन्य सामग्रियां उपलब्ध करा  रही हैं। विभागीय सहायता से किसान अब रजनीगंधा जैसे महंगे फूलों की खेती भी कर रहे हैं। गेंदा और रजनीगंधा की खेती से न केवल किसानों की आय बढ़ी है, बल्कि लोकल लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिल रहे हैं ।आज यह गांव अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गया है।