बेउर जेल में कैदियों ने फूलों की खेती से बदली अपनी ज़िंदगी
पटना: पटना के बेउर जेल के कैदी, जो कभी संगीन अपराधों के लिए बंद हुए थे, अब खुरपी और कुदाल लेकर बागवानी कर रहे हैं। जेल प्रशासन ने इन कैदियों की सोच बदल दी है और वे आज जेल की बगिया में गेंदा और गुलाब और दुसरे फूल उगाकर खुशबू फैला रहे हैं। फूलों की खेती ने कैदियों कि ज़िंदगो बदल दिया है।
जेल अधीक्षक डॉ. विधु कुमार ने बताया कि सुधार कार्यक्रम के तहत कैदियों को फूलों की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें उन्हें बताया जाता है कि किस मौसम में कौन सा फूल उगाया जाए, मिट्टी की गुणवत्ता कैसी होनी चाहिए, और सिंचाई के लिए कितना पानी आवश्यक है। इस पहल के तहत बड़ी संख्या में कैदियों ने बागवानी में रुचि दिखाई है।
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जेल प्रशासन का उद्देश्य है कि कैदियों की मेहनत और प्रतिभा से आम जनता को भी परिचित कराया जाए। इसके लिए जल्द ही कैदियों द्वारा उगाए गए फूलों की मालाएं बाजार में उपलब्ध कराई जाएंगी। इस योजना को अगले डेढ़ महीने में लागू करने की तैयारी हो रही है। फिलहाल, गेंदा के दो प्रकार के फूलों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इनमें से एक प्रकार साल भर खिलता है, जबकि दूसरा मौसमी होता है।
जेल में पहले जहां कचरे का अंबार हुआ करता था, अब उन स्थानों को साफ कर खेती योग्य बनाया गया है।जेल प्रशासन परिसर के अंदर बागवानी में औषधीय पौधों को शामिल करने की योजना भी बनाई जा रही है। इसके लिए विशेषज्ञों से सुझाव लिए जा रहे हैं।