हिमाचल में बागवानी विकास परियोजना का दूसरा चरण शुरू करने की तैयारी

शिमला: हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक की सहायता से बागवानी विकास परियोजना का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। पहले चरण की सफलता को देखते हुए  विश्व बैंक ने दूसरे चरण के लिए भी वित्तीय सहयोग देने का फैसला लिया है। 2016 में शुरू हुई पहले चरण की परियोजना 31 अक्तूबर 2024 को समाप्त हो गयी। इसका मुख्य उद्देश्य बागवानी छेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता और बाजार तक पहुंच को बढ़ाना था। इस दौरान तैयार की गई सेब की पौधों की गुणवत्ता इतनी बेहतर थी कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर से भी इनकी मांग आई। लद्दाख को विभिन्न किस्मों के 1.50 लाख पौधे उपलब्ध करवाए गए। इसके अलावा, एशियन विकास बैंक की मदद से सेब की वायरस-फ्री पौध के लिए “क्लीन प्लांट प्रोग्राम” शुरू किया गया।

दूसरे चरण में बागवानी उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ कीटनाशकों का कम से कम उपयोग सुनिश्चित करने और मौसम आधारित बीमा योजना को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। सरकार परियोजना का नया प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसे विश्व बैंक को भेजा जाएगा।

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विश्व बैंक ने हिमाचल की इस परियोजना को पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल माना है। परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन से आने वाले 4-5 वर्षों में और बेहतर परिणाम सामने आने की उम्मीद है। खास बात यह है कि इससे हिमाचल की उच्च गुणवत्ता वाले पौधों के लिए विदेशों पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।

दूसरे चरण को लेकर हाल ही में बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इसमें सचिव बागवानी सी पालरासु, परियोजना निदेशक सुदेश कुमार मोख्टा और एचपीएमसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सभी ने परियोजना के आगामी चरण को और प्रभावी बनाने के लिए विचार-विमर्श किया।