Marigold flower farmer

गेंदा की खेती से बदल रही है बिहार के किसानों की किस्मत

पटना: बिहार के किसान अब परंपरागत खेती से आगे बढ़कर नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इनमें गेंदा की खेती एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरी है। गेंदा के फूलों की मांग पूरे साल रहती है, क्योंकि ये पूजा, त्योहार और शादी जैसे आयोजनों के लिए बेहद जरूरी होते हैं। राज्य सरकार भी किसानों को गेंदा की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है और इसके लिए 70% तक सब्सिडी प्रदान कर रही है।
लेकिन अब गेंदा जैसे बागवानी फसलों की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है।
कृषि विभाग के अनुसार, एक हेक्टेयर भूमि में करीब 40,000 गेंदे के पौधे लगाए जा सकते हैं। गेंदा के पौधे लगाने के 60-65 दिनों के भीतर किसान 20-25 टन फूल प्राप्त कर सकते हैं। गेंदा की खेती से किसानों को अच्छी कमाई हो रही है और यह उनके जीवन स्तर में सुधार ला रही है।
गेंदा के अलावा, राज्य के किसान अमरूद, आंवला, जामुन, आम, लीची, पपीता, केला और मशरूम की खेती कर रहे हैं। ये फसलें न केवल मौसम की अनिश्चितताओं से बचाती हैं, बल्कि किसानों को परंपरागत खेती के मुकाबले अधिक मुनाफा भी देती हैं।
राज्य सरकार “बागवानी विकास मिशन” योजना के तहत फूलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। किसानों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण देकर गेंदा की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर रहा है, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बना रहा है।
गेंदा की खेती से बिहार के किसानों की जिंदगी में खुशहाली आ रही है। यह पहल साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से किसान अपनी किस्मत बदल सकते हैं।