लहसुन की किल्लत, एकीकृत बागवानी ‘मिशन’ दूर करेगा परेशानी
लखनऊ : प्रदेश में लहसुन की किल्लत ”एकीकृत बागवानी विकास मिशन” दूर करेगा। केंद्र ने हर वर्ष होने वाली समस्या को देखते हुए उद्यान विभाग को करीब तीन साल बाद 45 जिलों में 10 हजार हेक्टेयर में पैदावार का लक्ष्य दिया है। विभाग इसी रबी में राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) नई दिल्ली से किसानों की मांग और जलवायु के अनुसार नई व पुरानी प्रजाति के बीज मंगाकर अनुदान पर वितरण करेगा। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी ने बताया कि किसानों के प्रोत्साहित होने से प्रदेश में लहसुन की पैदावार बढ़ेगी और उपलब्धता होने से दाम नियंत्रित होंगे। लहसुन के बीजाें पर अनुदान मिलने से खेती में लागत कम आएगी और किसानों को आय बढ़ाने का एक और माध्यम मिलेगा।
इन 45 जिलों में होगी लहसुन की खेती
लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद, अयोध्या, उन्नाव, कानपुर नगर, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, बलिया, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, मथुरा, सोनभद्र, भदोही, मिर्जापुर, हाथरस, सीतापुर, बांदा, बाराबंकी, बुलंदशहर, मुज्जफरनगर, महोबा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट, झांसी और ललितपुर।
इन प्रजाति के मिलेंगे लहसुन के बीज
यमुना सफेद-2,3,4,5,8,10, यमुना परपल-10, यमुना-1,3 व सफेद-जी
तीन साल बाद मिला लक्ष्य, 40 फीसद अनुदान
वैसे ”एकीकृत बागवानी विकास मिशन” केंद्र की प्याज और लहसुन की पैदावार बढ़ाने की योजना है। लेकिन, तीन साल से लहसुन की प्रक्रिया बंद है। शायद इसी वजह से लहसुन की उपलब्धता कम होने से दाम बढ़ते गए। फिलहाल उद्यान विभाग ने इस पर नियंत्रण करने के लिए की योजना बनाकर केंद्र से लक्ष्य की मांग की थी। इसमें प्रति हेक्टेयर 40 फीसद व अधिकतम 12 हजार रुपये अनुदान मिलेगा।