सिगार एंड रॉट रोग केला किसानों के लिए गंभीर चुनौती

हाजीपुर: सिगार एंड रॉट नामक रोग केला फसल के लिए बहुत हानिकारक है। पहले लोगों ने इस रोग पर अधिक ध्यान नहीं दिया लेकिन जब इसके बुरे असर फलों पर पड़ने लगें तब लोगों का इस रोग के प्रति ध्यान गया।  अब इस पर काबू पाना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है। इस रोग के कारण केले के फलों की गुणवत्ता और उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होती है। यह रोग आम तौर से  केले के फलों के सिरे पर सूखे, भूरे से काले धब्बों के रूप में दिखता है। प्रभावित फल का आकार बदल जाता जाता है और सतह पर फफूंद नजर आने लगता है।

यह रोग मुख्य रूप से कवक ट्रेकिस्फेरा फ्रुक्टीजेना और कभी-कभी वर्टिसिलियम थियोब्रोमे के कारण होता है। यह बारिश और हवा के जरिए फैलता है जो  केले के फूलों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। धीरे-धीरे  यह फलों के सिरे पर राख जैसे सूखे सड़ांध का कारण बनता है। इस  रोग से बचाव और नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें ताकि वेंटिलेशन अच्छा हो।बारिश के मौसम में केले के गुच्छों को प्लास्टिक से ढकें। सूखी और रोगग्रस्त पत्तियों को नियमित रूप से साफ करें।

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इसके अतिरिक्त 50 ग्राम बेकिंग सोडा और 25 मिलीलीटर तरल साबुन मिलाकर एक घोल तैयार करें, फिर इसे संक्रमित शाखाओं और आसपास के क्षेत्रों पर नियमित रूप से छिड़कें। इसके अलावा मैन्कोजेब, थिओफेनेट मिथाइल, या मेटलैक्सिल जैसे कवकनाशकों का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर केले के पेड़ के आस पास छिड़काव करें।

सिगार एंड रॉट रोग से बचने के लिए किसानों को अपने बागों की नियमित देखभाल करनी होगी और बारिश के मौसम में विशेष सावधानी बरतनी होगी। इस रोग से बचाव के लिए सही प्रबंधन और समय पर उपचार बहुत ज़रूरी है।