यमुना के बाढ़ क्षेत्र में फूलों की खेती पर रोक, कोर्ट ने याचिका खारिज की
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र में फूलों की खेती करने वाले किसानों की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यमुना नदी को संवारने और उसे पुनर्जीवित करने की जरूरत है, ऐसे में किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। फूलों की खुशबू से महकते इन खेतों के किसानों ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनकी खेती से न सिर्फ दिल्ली के लोगों को ऑक्सीजन मिल रही है, बल्कि हजारों लोगों का रोजगार भी इससे जुड़ा हुआ है। लेकिन हाई कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि उनके फूल दिल्ली की हवा को साफ करने में मदद करते हैं और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायक हैं। लेकिन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इस जमीन को सरकारी बताया और कहा कि यहां ‘मयूर नेचर पार्क’ नाम का एक बायोडायवर्सिटी पार्क बनाया जाएगा। इस परियोजना के तहत क्षेत्र में बहाल करने के लिए नए पौधे लगाए जाएंगे और दिल्ली का हरित क्षेत्र बढ़ाया जाएगा।
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कोर्ट ने माना कि यह इलाका सरकारी योजनाओं के लिए तय किया गया है और यहां से अतिक्रमण हटाना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पहले ही इस जमीन को खाली करने के आदेश दे चुके हैं।
हालांकि, फूलों की खेती से जुड़े हजारों लोगों के लिए यह फैसला मुश्किल भरा हो सकता है, लेकिन कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी है। अब देखना होगा कि दिल्ली के ये फूलों के खेत इतिहास बनेंगे या किसानों को कोई वैकल्पिक जगह मिलेगी।