मार्च में नींबू की फसल की देखभाल से मिलेगा बेहतर उत्पादन
लखनऊ: उत्तर भारत में जाड़े के बाद मार्च का महीना नींबू वर्गीय फसलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और वसंत ऋतु का प्रभाव दिखाई देने लगता है। यह समय नींबू के बागों में नई वृद्धि, फूल आने, कीट एवं रोग प्रबंधन, खाद एवं सिंचाई जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए उपयुक्त होता है। अगर इस दौरान पौधों की सही देखभाल की जाए, तो फसल अच्छी गुणवत्ता की होगी और उत्पादन भी अधिक मिलेगा।
मार्च में नींबू के पौधों में नई कोंपलें निकलने लगती हैं और फूल भी खिलने लगते हैं। यह पौधों की सक्रिय वृद्धि का समय होता है, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं: पुरानी और सूखी टहनियों की छंटाई – इससे पौधों का आकार सही रहता है और उनमें प्रकाश एवं हवा का संचार बेहतर होता है।पौधों को सही मात्रा में खाद और पोषक तत्व दिए जाते हैं ताकि फूलों की संख्या बढ़े और फलों की गुणवत्ता अच्छी हो। नई वृद्धि के साथ कीटों और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए समय पर रोकथाम जरूरी होती है।
इसे भी पढ़ें: धर्मशाला में नए पार्कों का विकास युद्ध स्तर पर जारी
नींबू के बागों में मार्च महीने में विशेष निगरानी की जरूरत होती है ताकि किसी भी समस्या को समय रहते रोका जा सके। संक्रमित पत्तियों और शाखाओं को काटकर नष्ट करें। बाग के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें ताकि कीट एवं रोगों का प्रकोप न हो। जैविक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग करें ताकि पौधों की सेहत बनी रहे।
मार्च का महीना नींबू की फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। सही पोषण, सिंचाई, रोग प्रबंधन और देखभाल से अच्छी गुणवत्ता वाले फल प्राप्त किए जा सकते हैं। किसान अगर इन सभी उपायों को अपनाएं तो उनकी फसल की पैदावार और गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।