बेकार फूलों से बना इत्र, अगरबत्ती और करोड़ों की कमाई
दिल्ली: पूजा के बाद मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों को अक्सर बेकार समझकर फेंक दिया जाता है या नदियों में बहा दिया जाता है। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है, बल्कि धार्मिक भावनाएं भी आहत होती हैं। इसी समस्या का समाधान लेकर आया एक निर्मलया स्टार्टअप के राजीव बंसल, जो इस स्टार्टअप के सह-संस्थापक और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हैं, यह विचार उनके मन में अक्टूबर 2020 में जन्म दिया।
एक बार जब वे शिरडी गए, तो देखा कि कुछ महिलाएं मंदिरों के बाहर से फूल बटोर रही थीं। तब उन्हें समझ आया कि इन फूलों से बहुत कुछ किया जा सकता है। उन्होंने निर्मलया की शुरुआत की और दिल्ली के मंडोली इलाके में एक फैक्ट्री लगाई। यहां 60 से 80 महिलाएं लगातार काम कर रही हैं। ये महिलाएं मंदिरों से एकत्र किए गए फूलों से अगरबत्ती, धूपबत्ती, इत्र, हर्बल गुलाल और सुगंधित उत्पाद तैयार करती हैं।
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राजीव बंसल का कहना है कि निर्मलया दिल्ली-एनसीआर के लगभग 150 मंदिरों से रोजाना करीब डेढ़ से दो टन फूल इकट्ठा करता है। मंगलवार को तो सिर्फ कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर से ही कई गाड़ियाँ फूल लेकर आती हैं। निर्मलया के उत्पाद वैज्ञानिक संस्था सीएसआईआर से प्रमाणित और पेटेंट आधारित हैं। ये न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि इससे कई महिलाओं को रोजगार भी मिला है।
राजीव बंसल का स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया के मंच तक पहुंच चुका है, जहां उनके विचार और मेहनत की खूब सराहना हुई। साल 2023 में निर्मलया ने लगभग 8 करोड़ रुपये का कारोबार किया। यह स्टार्टअप न सिर्फ आस्था से जुड़े फूलों को नया जीवन दे रहा है, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी मिसाल बन रहा है।