हिमाचल के कुपवी में किसानों को सिखाए गए प्राकृतिक खेती के गुर
नई दिल्ली। हिमाचल में उपमंडल चौपाल और कुपवी के किसानों के लिए तीन दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का आयोजन कृषि सलाहकार समिति के अध्यक्ष तुलसी जमालटा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। शिविर में चौपाल और कुपवी के तीस किसानों और बागबानों ने प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी हासिल की।
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इस दौरान डा. यशवंत सिंह परमार औद्योगिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र से आए कृषि वैज्ञानिक डा. जितेंद्र चौहान ने किसानों और बागबानों को अग्निअस्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं जीवामृत प्राकृतिक छिडक़ाव तैयार करने एवं इनके इस्तेमाल करने संबंधी जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम खाद्य पदार्थों में जाने अनजाने कई किस्म के घातक रसायनों का इस्तेमाल कर रहे है। ये रासायनिक पदार्थ हमारे शरीर को नुक्सान पंहुचा कर कई घातक बीमारियों के चपेट में ला रहे है। रसायनों के घातक प्रभाव को देखते हुए आज प्राकृतिक खेती की अति आवश्यकता है।
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उन्होंने कहा कि पहाड़ों में प्राकृतिक खेती की अपार संभवनाएं है, लिहाजा यहां के किसानों को रासायनिक खेती छोड़ कर प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती अपनाने से पहाड़ों से विलुप्त परंपरागत अनाज का संरक्षण भी होगा एवं लोगों को रसायन मुक्त पौष्टिक खाद्य पदार्थ भी मिलेंगे।
किसान सलाहकार समिति के अध्यक्ष तुलसी जमालटा ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार इस खेती के प्रोत्साहन के लिए योजनाएं भी लेकर आई है। अत: किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए। इस दौरान उपस्थित किसानों बागबानों को ड्रोन के द्वारा प्राकृतिक छिडक़ाव की स्प्रे का डेमों भी दिया गया एवं बताया गया कि आने वाले समय में ड्रोन से यह स्प्रे काफी लाभदायक सिद्ध होगा।