Aloevera farming : राजस्थान के कई इलाकों में किसान उगा रहे हैं एलोवेरा, दिल्ली व जयपुर में भारी मांग !
नई दिल्ली। राजस्थान के कई इलाकों में किसानों ने परंपरागत खेती छोड़कर अब अन्य चीजों की ओर रुख किया है। जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। इसी श्रृंखला में राजस्थान के चुरु के किसान अब ऐलोवेरा यानि ग्वारपाठे की खेती कर रहे है। जिले के कई इलाकों में किसान इसे बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं। जिसमें चूरू सहित सुजानगढ़, रतनगढ, बीदासर व सरदारशहर के कई सिंचित क्षेत्रों में इसकी खेती हो रही है। किसानों ने बताया कि यहां उगाए गए एलोवेरा को दिल्ली व जयपुर आदि की कई कंपनियां खरीदती हैं। किसानों के मुताबिक एक मोटे अनुमान के तौर पर जिले में करीब साढे तीन सौ से भी अधिक हेक्टेयर में इसकी खेती की जा रही है। हाल ही में हुई ताजा रिसर्च में एलोवेरा को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। एलोवेरा में सौंदर्य प्रसाधन व औषधीय गुणों के अलावा कैंसर से लडऩे की क्षमता के गुणों का पता लगा है।
मरुस्थल की मिट्टी एलोवेरा के लिए वरदान
राजस्थान के कई जिलों के मरुस्थल की मिट्टी एलोवेरा उगाने के लिए वरदान साबित हो रही है। ग्वारपाठे के पौधे के लिए यहां की जलवायु अनुकूल है। धोरों में ये आसानी से पनपता है। हालांकि इसे हल्की सी नमी की जरूरत पड़ती है। बहुत कम पानी में इसका पौधा खुद को विकसित कर लेता है। खाद की भी कोई विशेष जरूरत इसे नहीं पड़ती। सबसे खास बात इसके पौधे में कोई रोग नहीं लगता।
इन तत्वों से भरपूर है एलोवेरा
वनस्पति विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक एलोवेरा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, सेलेनियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम, कॉपर, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, फॉलिक एसिड, विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3 और बी6 और मैंगनीज जैसे तत्व मौजूद होते हैं। जो मानव को तंदुरूस्त रखने में सहायक होते हैं।
त्वचा का रखता है ख्याल
विशेषज्ञ बताते हैं कि विगत वर्षों में लोगों का एलोपैथी से मोहभंग होने लगा है। अब लोग धीरे-धीरे नेचुरोपैथी की ओर झुकने लगे हैं। एलोवेरा सिर्फ स्कीन ही नहीं बल्कि पेट के रोगों सहित कई बीमारियों का निदान करता है। ग्वारपाठे की सब्जी विटामिन सी और विटामिन ई जैसे तत्वों से भरपूर होती है। इसके सेवन से शरीर इम्यूनिटी मजबूत होती है।
एलोवेरा की खेती फायदे का सौदा
गांव ढाढर के किसान संदीप ने बताया कि परंपरागत बारानी खेती अब घाटे का सौदा साबित हो रही है। बारिश के अभाव में फसलें जल जाती है। नुकसान उठाना पड़ता है। कम पानी में नगदी की एलोवेरा की खेती फायदा दे रही है। गांव बंबू के किसान जगदीश व रामकरण ने बताया कि कम मेहनत में उपज ज्यादा होती है। लागत भी नहीं के बराबर आती है। इसलिए एलोवेरा उगा रहे हैं। इधर, उडवाला के किसान ओमाराम ने बताया कि फसल तैयार होते ही हाथो हाथ बिक जाती है। जयपुर व दिल्ली से लोग खरीदने आतें हैं।
तेजी से बढ़ रही है एलोवेरा की मांग
एलोवेरा एक मरुविधीय पौधा है। जिले में इसके लिए उपयुक्त जलवायु है। यही वजह है कि यहां ये कम पानी में तेजी से पनप जाता है। इसके कई औषधीय गुण इसे खास बनाते हैं। हाल की में हुई ताजा रिसर्च में इसे वैज्ञानिकों ने एंटी कैंसर प्लांट के तौर पर चिन्ह्ति किया है। इसके अलावा भी त्वचा, पेट के रोगों सहित इम्यून सिस्टम बढाने की इसमें भरपूर क्षमता पाई जाती है। अब लोगों का एलोपैथी से मोहभंग होने लगा है। लोग नेचुरोपैथी की ओर आकर्षित होने लगे हैं। यही वजह है कि एलोवेरा की मांग तेजी से बढ रही है। लोगों को अब इसके फायदे भी नजर आने लगे हैं।