Now the farmers of Chhattisgarh will cultivate red banana, the crop is being prepared in the tissue culture nursery

अब छत्तीसगढ़ के किसान करेंगे लाल केले की खेती, टिश्यू कल्चर नर्सरी में तैयार की जा रही है फसल

नई दिल्ली। अब तक बाजार में आपने सिर्फ पीला केला देखा होगा, लेकिन आने वाले समय में अब आपको लाल केला भी बाजार में देखने को मिलेगा। अब छत्तीसगढ़ के किसान लाल केले की खेती कर पाएंगे। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के टिश्यू कल्चर लैब में लाल केला की फसल तैयार की जा रही है। प्रयोग के तौर पर 150 पौधे लगाए गए हैं। अगले दो महीने में पौधों पर फूल-फल आना शुरू हो जाएगा। लाल केला के कंद को लेकर नए पौधे तैयार किए जाएंगे।

बता दें कि लाल केला का छिलका लाल रंग का रहेगा, अंदर का फल पीला रंग का रहेगा। लाल केला में दूसरे केला की अपेक्षा विटामिन ए की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जिसके कारण केले का गूदा पीला रंग होता है। इसके अलावा लैब में जी-9 और उद्यम केले के पौधे बड़ी संख्या में तैयार है। दिसंबर के पहले सप्ताह से ही केला के पौधे लगाने का समय शुरू हो जाता है। सरकार की तरफ केला की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है।

टिश्यू कल्चर लैब के प्रभारी डा. एलएस वर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष चेन्नई के किसानों से लाल केला के पौधे लाए थे। वहां के किसान पहले से लाल केला की खेती करते हैं। विश्वविद्यालय की नर्सरी में 150 लाल केला के पौधे लगाए गए हैं। केला लगाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर और जून रहता है। जून में केला लगाने तक लाल केला के पौधे आम किसानों को भी मिलने लगेंगे।

11 महीने में तैयार होती है फसल
लाल केला की फसल 11 महीने में तैयार होती है। इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 10 फीट होती है। इसमें 25 किलों तक फल लगते हैं। लाल केला का फल पूरी तरह से लाल रहेगा, अंदर गूदा में हल्का सा पीलापन रहता है। विटामिन ए की मात्रा ज्यादा होने के कारण विटामिन एक की कमी से होने वाले सभी रोगों के लिए फायदेमंद भी है।

जी-9 और उद्यम केले के भी छह लाख पौधे तैयार
कृषि विश्वविद्यालय की टिश्यू कल्चर लैब में जी-9 और उद्यम केला के छह लाख से ज्यादा पौधे तैयार है। जी-9 के लगभग साढ़े पांच लाख और उद्यम किस्म के 50 हजार पौधे नर्सरी में किसानों के लिए तैयार है। जी-9 पौधे की ऊंचाई कम होने के कारण इसकी मांग ज्यादा रहती है। जी-9 केला की ऊंचाई लगभग साढ़े छह फीट रहती है, जिसके कारण आंधी-तूफान में कोई नुकसान नहीं होता है।

सातवें महीने में फूल लगते है, ढाई से तीन महीने में फल आ जाते हैं। इसे केमिलकल डालकर पकाया जाता है। वहीं उद्यम केला की फसल लगभग 14 महीने में तैयार होती है। लेकिन इसका केला बहुत स्वादिष्ट रहता है, ये पेड़ पर ही पक जाता है। इसके एक महीने तक ताजा रखा जा सकता है। एक पौधे पर कम से कम 30 किलो फल लगते हैं। उद्यम की ऊंचाई और ज्यादा समय लगने के कारण किसान ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। इसलिए उद्यम के 50 हजार पौधे ही तैयार किए गए हैं।

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