रूप, रंग, गंध, ध्वनि और स्वाद की तृप्ति करता गार्डेन ऑफ फाइव सेंसेज

मदीहा अजीज

दिल्ली का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल गॉर्डेन ऑफ फाइव सेंसेज। अपने नाम की ही तरह अनोखा यह गार्डेन दिल्ली के सईद उल अजायब में स्थित है जो यहां आने वाले हर पर्यटक को आनंदित कर देता है। बीस एकड़ जमीन में फैला हुआ गार्डेन ऑफ फाइव सेंसेज एक ऐसा गार्डेन हैं जो आपकी पांचों इंद्रियों को सुखदायक अनुभव प्रदान करता है। इसीलिए इस गार्डेन का नाम गार्डेन ऑफ फाइव सेंसेज रखा गया। इस गार्डेन का उद्घाटन साल 2003 में किया गया था और इसके बाद यह दिल्ली के एक प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक बन गया। प्राकृतिक दृश्यों से भरे इस गार्डेन में आपको 200 से भी अधिक सुंदर एवं सुंगधित पौधे देखने को मिलेंगे साथ ही 25 से ज्यादा मृत्तिका एवं शैल शिल्प देखकर निश्चित ही आप अविभूत हो जाएंगे।

गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज दिल्ली के सैद-उल-अजैब गांव में साकेत के सामने स्थित है। यह महरौली के पुराने जिले के बगल में है, जहां आप विश्व विरासत स्थल, प्रभावशाली कुतुब मीनार भी हैं। इसके अलावा, आस-पास कई कला दीघार्एँ भी हैं।

रूप, रंग, गंध, ध्वनि एवं स्वाद की तृप्ति करता गार्डेन ऑफ फाइव सेंसेज एक बहुत ही शांत जगह है, जो प्रेमी जोड़ों के बीच खासा लोकप्रिय है। यह गार्डेन आगंतुकों को एक संवेदी अनुभव प्रदान करता है। 20 एकड़ में फैला, गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज का निर्माण समतल और पथरीली दोनों तरह की जमीनों पर किया गया है। दिल्ली पर्यटन परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) को इस पार्क को विकसित करने में तीन साल से अधिक का समय लगा और इसे फरवरी 2003 में खोला गया। इसमें विभिन्न प्रकार के पेड़, फूलों की झाड़ियाँ और अन्य वनस्पतियां, साथ ही तालाब और फव्वारे और आधुनिक मूर्तियां और कलाकृति हैं। गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज हर उम्र के लोगों के लिए एक अद्भुत जगह है।

जब आप गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज में प्रवेश करते हैं तो बगीचों में स्टेनलेस स्टील में उकेरी गई पक्षियों की दो विशाल मूर्तियां आपका स्वागत करती हैं। सामने एक विशाल चट्टानी रैंप है, जो कि स्लेटी रंग के पत्थर के हाथियों की परेड के बीच एक स्पाइरल वाक पर लेकर जाता है। इस उद्यान को कई भागों में विभाजित किया गया है। स्पाइरल सीढ़ी के दाईं ओर खस बाग है। यह इस पार्क का एक छोटा सा भाग है जो चार बाग शैली से प्रेरित है। इसमें चार हरे-भरे लॉन हैं, जिसमें पानी की टंकियाँ और झरने हैं। पार्क के किनारे को छोटा करने के लिए छोटे झाड़ियों और फूलों से सजाया गया है। यह पार्क अपने आकर्षक दृश्यों, फूलों के सुगंध, बेहतरीन कलाकृतियों, विभिन्न पौधों, घंटियों की आवाज और व्यंजनों ले स्वाद के लिए जाना जाता है।

पार्क के बीच में तालाब में बना एक फव्वारा-वूक्ष भी बेहद आकर्षक है इसके अलावा पार्क में फूड्-स्टाल एवं एक रेस्तरां जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध है और यहां एक थियेटर भी बना है जहाँ नृत्य-गायन जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। प्राकृतिक आकर्षणों से भरा यह पार्क वनस्पति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है।
पार्क में पर्यटक विभिन्न तरह के विदेशी फूलों को देख सकते हैं जो अपनी सुंदरता और खुशबु से लोगों को आकर्षित करते हैं। पार्क का विशाल क्षेत्र दूर-दूर से कई विदेशी फूलों के पौधों की दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति (लगभग 200 विदेशी पौधों) से सजा हुआ है, जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।

गौरतलब है कि दिल्ली के आर्किटेक्ट प्रदीप सचदेवा ने गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज को डिजाइन किया था। प्रवेश द्वार पर स्लेट-पहने खंभों पर स्टेनलेस स्टील के पक्षी लगे हैं। राजस्थानी कारीगरों ने मुगल स्थापत्य शैली में बलुआ पत्थरों का उपयोग करके दीवारों को बनाया। उद्यान क्षेत्र में प्रवेश करते ही आप जो विशाल पत्थर के हाथी देखते हैं, वे भी इन कारीगरों द्वारा तैयार किए गए थे। जब आप सर्पिल, पक्के रास्ते के साथ बगीचे में प्रवेश करते हैं, तो आपके दाहिनी ओर खास बाग है। इसकी हरी घास और चमकीली फूलों वाली झाड़ियां मुगल गार्डन की तस्वीर खींचती हैं। यहां कई पानी के फव्वारे और छोटे झरने हैं। थोड़ी दूरी पर आप अन्य पत्थर के सिल्हूट देखते हैं। फिर आता है नील बाग या नीला बगीचा जो नीले फूलों वाले पौधों से सजाया गया है। पूल गार्डन में फव्वारे और विभिन्न प्रकार के जलीय पौधों वाला एक पूल है।

गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज में एक आउटडोर ऑडिटोरियम भी है। पार्क पूरे साल विभिन्न गतिविधियों के लिए एक मंच है, जैसे संगीत प्रदर्शन, नाट्य प्रस्तुतियों और कला प्रदर्शनियों। 500 लोगों की क्षमता वाला, आउटडोर ऑडिटोरियम भी सभाओं के लिए एक स्थान है। बगीचे में कबाड़ से जुगाड़ नामक बच्चों के लिए एक खंड है, जहां वे व्यावहारिक गतिविधियां कर सकते हैं और प्राकृतिक दुनिया की खोज कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बगीचे में कई रेस्तरां और कॉफी की दुकानें हैं।

इस गार्डन को विशिष्ट क्षेत्रों में बांटा गया है। घुमावदार रास्ते के एक ओर स्थित खास बाग, मुगल गार्डन की तर्ज पर विकसित किया गया है। इस बाग की लंबाई वाले क्षेत्र में वाटर-चैनलों में धीमी गति से चलते फव्वारे हैं, रास्तों पर खुश्बूदार फूलों वाली झाड़ियां और पेड़ माहौल को खुशनुमा बना देते हैं।

मध्य भाग में फव्वारों की एक पूरी श्रंखला है, जो फाइबर-आॅप्टिक लाइटिंग सिस्टम से प्रकाशित होते हैं। यहीं एक ‘फाउंटेन ट्री” है, जो वास्तुकला का शानदार नमूना है। गार्डन के केन्द्र से दूर बने रास्तों के एक ओर एकांत में फूड और शॉपिंग कोर्ट बना है। फूड कोर्ट के सामने छतों की पूरी श्रंखला है जहां बैठने की व्यवस्था है।

मादक सुंगध वाला रास्ता उत्तर की ओर एक चट्टानी श्रेणी तक ले जाता है। यहां चट्टानों के बीच पिन-व्हील से प्रेरित होकर स्टील से बनी एक प्रतिमा आनंद में झूमती नजर आती है। नील बाग की ओर नीचे टेड़े-मेड़े रास्तों पर बहता पानी, लिली के पुष्पों वाला एक तालाब मंडपों से घिरा है। इनमें अलग-अलग रंगों और डिजाइनों वाले ऊंचे उठते पौधे मन मोह लेते हैं। ऊपर की ओर वायु के वेग से फुसफुसाती, सिरामिक से बनी सैंकड़ों घण्टियां, आपको अपनी शांत सी ध्वनि का अहसास कराती प्रतीत होती हैं। प्राकृतिक ढालों से बीचों-बीच एम्फीथियेटर बनाया गया है। गार्डन के पिछले हिस्से में एक खुला प्रदर्शनी क्षेत्र है जहां कला के प्रदर्शन तथा आर्ट वर्कशॉप के लिए व्यवस्था की गई है।

इस गार्डन के डिजाइन के अनुसार इसका काल्पनिक नाम गार्डन ऑफ फाइव सेंसिज रखा गया है। रंग, सुगंध, संरचना और रूप सभी कुछ सिमटकर एक फूलों के गुलदस्ते के समान लगता है, जो जीवन की सुंदरता का अहसास करता है और ध्वनि, स्वाद, दृष्टि, स्पर्श और गंध के बारे में एक महान अनुभूति देता है। यह गार्डन रंग, सुगंध, संरचना और रूप के मेल से बने मनुष्य के जीवन की सुंदरता का अहसास करता है। यह ध्वनि, स्वाद, दृष्टि, स्पर्श और गंध के बारे में अनुभूति देता है। गार्डन में लगभग 25 विभिन्न प्रतिमाएं और भित्ति-चित्र हैं जो देश में लोक कला के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है।

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