मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में कृषि वैज्ञानिकों ने समझाया टैरेस गार्डन का महत्व

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा बीएस किरार के मार्गदर्शन में केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा गृह वाटिका के रूप में सब्जियां छत पर उगाई जा रही हैं जिसे टैरेस गार्डन कहा जाता है। कृषि वैज्ञानिक केंद्र के वैज्ञानिक डा एस के सिंह, आर के प्रजापति, डा यूएस धाकड़ एवं श्री जयपाल छिगारह द्वारा पांच सालों से टैरिस गार्डन एवं गृह वाटिका की उपयोगिता के बारे में जिले के विभिन्न गांवों में प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारत के कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में सब्जी उत्पादन एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है। भूमि उपयोग फसल विविधताए रोजगार के अवसर एवं पोषण सुरक्षा प्रदान करने सब्जी की अपनी एक अलग उपयोगिता है। सब्जियों से हमें खाद्य, रेशा, खनिज, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। वर्तमान शोध परिणामों से यह भी पुष्टि होती है कि सब्जियों में पाए जाने वाले कुछ विशेष प्रकार के यौगिक जैसे बीटा कैरोटीनए विटामिन सीए विटामिन ई तथा ग्लूकोसाइनोलेट इत्यादि हमें बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। यानि सब्जियों को रक्षात्मक भोजन भी कहा जाता है।

बता दें खरीफ एवं रबी मौसम में गृह वाटिका के रूप में खेत में उगाई गई सब्जियाँ वर्षा के कारण बहुत प्रभावित होती हैं। ऐसा भी नहीं कहा जा रहा है कि व्यक्ति खरीफ एवं रबी मौसम में गृह वाटिका घर के पास खाली जमीन में नहीं लगायें। जहाँ अच्छी जल निकास की समुचित व्यवस्था है वहाँ गृह वाटिका सुचारू रूप से किया जा सकता है परंतु जहाँ घर के आसपास भूमि एवं जल निकास की व्यवस्था नहीं है वहाँ टैरिस गार्डन के रूप में परिवार के सदस्यों हेतु सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं साथ ही घर में सीमेंट की खाली पड़ी बोरियों में छत पर पपीता लगाकर परिवार में कुपोषण की बीमारी को दूर किया जा सकता है।