हिमाचल में बागवानों को अब तक नहीं मिली 10 साल पुरानी सब्सिडी
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में एकीकृत बागवानी मिशन के तहत साल 2014-15 तत्कालीन सरकार ने प्रदेश के बागवानों को उनकी फसलों पर लागत पर 50 फीसदी अनुदान देने काी घोषणा की थी, जो अभी तक करीब 4,000 किसानों को प्राप्त नहीं हुआ है। इसमें अन्य व्यवस्थाओं के अलावा पावर टिल्लर, पावर स्प्रेयर, वीडर, एंटीहेल नेट खरीदने पर भी यह सब्सिडी लागू है। लेकिन किसानों को इसके तहत अभी तक कुछ नहीं मिला है। जबकि इसी उम्मीद में बागवानी करने वाले कुछ किसानों ने कर्ज लेकर उपकरण खरीदा था। ऐसे में वीरभद्र और जयराम सरकार के समय की ऐसी देनदारियों को बोझ अब सुक्खू सरकार पर आ गया है। राज्य सरकार आर्थिक तंगहाली और केंद्रीय योजनाओं में कई तरह की कटौती की लगातार शिकायत कर रही है।
बता दें कि वीरभद्र सरकार में बागवानी मंत्री रहीं विद्या स्टोक्स के समय के ऐसे हजारों मामले लटके हैं। बागवान बताते हैं कि सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के दावे तो करती है, लेकिन अभी तक कर्ज माफ नहीं हुआ। बागवानी करने वाले किसानों का कर्ज सुक्खू सरकार पर बोझ बन गया है। 2014-15 या इसके बाद जिन बागवानों ने उपकरण खरीदे उनसे उस वक्त पहले ही अप्रत्यक्ष कर वसूला जा चुका है, अब जीएसटी काट कर उन्हें उपदान देने की बात हो रही है।
बागवानी मंत्री ने दिया जांच का आदेश
अब प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी भी इस बात से हैरान हैं कि 10 साल पुराने सब्सिडी के मामले लंबित हैं। बोले- उन्हें तो केवल तीन से चार साल के लंबित मामले होने की ही सूचना थी। आखिर क्यों इतने पुराने मामले नहीं निपटाए गए, इसकी जांच की जाएगी। बागवानी विभाग के निदेशक से इसे लेकर रिपोर्ट मांगी जाएगी।