Farmer Pawan Kumar Gautam, resident of Chamba district of Himachal Pradesh, has set an example in the field of horticulture.

सेब की बागवानी और नर्सरी तैयार कर पवन कुमार बने मिलेनियर किसान

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के चंबा  जिले के रहने वाले किसान पवन कुमार गौतम ने बागवानी के क्षेत्र में मिसाल कायम किया हैं। पवन कुमार गौतम पिछले 18 सालों से बागवानी कर रहे हैं। वे सेब और अखरोट की बागवानी मुख्य रूप से करते हैं। अगर शिक्षा की बात करें तो पवन ने 12वीं तक पढ़ाई की है। बता दें कि पवन कुमार  इसके साथ-साथ  नर्सरी तैयार करने का काम भी करते हैं, इनकी नर्सरी का नाम भगतराम फ्रूट प्लांट नर्सरी है।

उन्होंने बताया कि वह नर्सरी तैयार कलम विधि से करते हैं, सेब के पौधों को कलम विधि से तैयार करते हैं। वे बताते हैं कि कलम विधि से तैयार किए गए पौधे का रिजल्ट काफी अच्छा मिल रहा है।

किसान पवन कुमार गौतम बताते हैं कि उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर का पॉली हाउस की नई तकनीक पर एक वीडियो देखकर वहां के वैज्ञानिकों से बात की। उनके मुताबिक, ‘उन्होंने मुझे पॉली हाउस में कलम तैयार करने की विधि के बारे में जानकारी दी। फिर इस विधि के माध्यम से  मैंने नर्सरी तैयार किया और सफल हुए।

इस विधि से कई गुना बढ़ी इनकम

पवन कुमार आगे बताते हैं कि प्लांट तैयार करते समय पॉली हाउस तकनीक को अपनाया जाता है, जैसे कि मार्च में हमारे प्लांट की ग्रोथ होती है।  इस तकनीक से साल में एक प्लांट की जगह 6-7 प्लांट सरलता से मिल जाते हैं, जिससे एक साल में इनकम करीब 4-5 गुना बढ़ जाती है।

क्या  होता  है पॉलीहाउस ?

पॉलीहाउस या ग्रीनहाउस चारों तरफ से घिरा हुआ वह स्थान है जहां पर किसी भी समय पर किसी भी फसल को उचित जलवायु तथा पोषक तत्व प्रदान करके अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है। पॉलीघर या पॉलीहाउस पॉलीथीन से बना एक रक्षात्मक छायाप्रद घर है, जिसका उपयोग उच्च मूल्य वाले बागवानी पौधों को तैयारऔर संरक्षित करने के लिये किया जाता है।

इन पॉली हाउस से एक साल में वह लगभग 7 हजार प्लांट प्राप्त कर लेते हैं। 100 रुपये में एक प्लांट बिकता है। कलम करके प्लांट को बेचने पर इसकी कीमत 200-250 रुपये तक हो जाती है। इनकी कीमत वैरायटी के आधार पर भी बढ़ती-घटती है। अगर सालाना लागत और मुनाफे की बात करें तो पवन कुमार ने बताया कि नर्सरी और बागवानी में कुल लागत एक लाख रुपये तक आती है और वहीं, सालाना मुनाफा लगभग 15 -20 लाख रुपये है।