News दो दिवसीय अमरूद एक्सपो का शुभारंभ, फतेहाबाद के अमरूद उत्कृष्टता केंद्र में February 2, 2024 नई दिल्ली। फतेहाबाद के भूना में बुधवार को दो दिवसीय अमरूद एक्सपो का शुभारंभ किया गया, जहां अमरूदों की स्थाानीय वेराइटी सबसे बेहतर मानी गयी। इस अवसर पर सीसीएस एचएयू, हिसार के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज मुख्यअतिथि तथा बागवानी विभाग, हरियाणा के संयुक्त निदेशक डॉ. पीसी संधू विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस एक्सपो के पहले दिन करीब 600 किसानों ने मेले में हिस्सा लिया। इस दौरान केंद्र द्वारा अमरूद से संबंधित अपनाई जा रही नई तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा बागवानी व अन्य फसलों पर नवीनतम तकनीकों से संबंधित खोज की जा चुकी है। यदि किसान उनको अपनायें तो खेती में आने वाली लागत को कम किया जा सकता है और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सभी किसान प्रोसेसिंग की तरफ ध्यान दें, क्योंकि यदि वह अपनी फसल का कोई भी उत्पाद बनाकर बाजार में बेचेंगे तो इससे उनका लाभ अधिक होगा तथा अन्य के लिये भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। एक्सपो के दौरान चौधरी चरण सिंह, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सत्र आयोजित किया गया, जिसमें अमरूद की फसल व बागवानी की अन्य फसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। Read More: 10 रुपये में खरीदें पौधा, सरकार तीन साल बाद देगी पौधे पर 70 रुपये और मालिकाना हक इसके अतिरिक्त यहां बागवानी क्षेत्र से जुड़े विभिन्न सरकारी/गैरसरकारी उपक्रमों के उत्पादों के प्रदर्शन के लिए 10 स्टाल की व्यवस्था भी की गई, जिसमें कई सरकारी/अर्ध-सरकारी संस्थान, उद्यमी, प्राइवेट कम्पनियों द्वारा अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। एक्सपो में बागवानी विषय विशेषज्ञों द्वारा अमरूद फसल के प्रबंधन व उच्च तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई तथा किसानों को अमरूद फसल से संबंधित समस्यओं के समाधान का रास्ता भी बताया गया। केंद्र के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद्र ने कहा कि केंद्र पर अमरूद की की 16 किस्में लगाई गई हैं जो कि सभी सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली अपनाकर व अलग-अलग दूरी जैसे कि 2-1 मीटर, 2-2 मीटर, 3-2 मीटर, 4-3 मीटर तथा 6-3 मीटर पर रखी गई हैं, जिसमें सबसे अच्छी दूरी 3-3 मीटर की पाई गई है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (बवानिया एफपीओ, महेंद्रगढ़) द्वारा जो विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार किये जाते हैं जैसे कि बाजरे के लड्डू, बाजरे के बिस्कुट, दालों से तैयार किये गये विभिन्न प्रकार के उत्पाद, कैंडी, अचार आदि का प्रदर्शन भी यहां किया गया। इस माध्यम से किसानों को एक संदेश दिया गया कि वह वे स्वयं भी इस तरह अपना उत्पाद तैयार करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा कुछ किसानों व सरकारी विभागों द्वारा भी अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। Read More: आलू-मक्का छोड़ शुरू की नींबू की खेती, हो रही सालाना चार लाख की कमाई Related News:हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्वमशरूम फार्मिंग: कमाई का मार्ग वेदों में पर्यावरण चेतनाकृषकों की समस्याओं के निराकरण के लिये गौतम बुद्ध नगर…‘संरक्षित खेती’ में अप्रतिम योगदानविगत 6 वर्षों में उप्र शासन ने 167 करोड़ पौधारोपण का…
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