बागवानी विश्वविद्यालय ने कहा, सेब को रोगों से बचाने के लिए कृषि रसायन का करें स्प्रे
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी करने वाले किसानों को सेब में लगने वाले रोगों के कारण तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसको देखते हुए हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग शिमला और डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी ने 2024 के लिए सेब में लगने वाले रोगों से निजात पाने को स्प्रे शेड्यूल जारी किया है।
सेब में लगने वाले रोगों पर 2024 का स्प्रे शेड्यूल
बागवानी विश्वविद्यालय नौणी का कहना है कि स्प्रे शेड्यूल मौसम के स्थितियों पर निर्भर करता है।
स्प्रे करने के बाद 12 घंटे के अंदर बारिश होने की स्थिति में सात दिनों के बाद दोबारा स्प्रे करना चाहिए।
एक ही प्रकार के स्प्रे दोबारा नहीं करना चाहिए।
जैसे ही रोग शुरू हो, बागवानी में कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।
कीटनाशकों और रसायनों को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए।
कीटनाशक के साथ रासायनिक सूक्ष्मपोषक विकास नियामक हार्मोन न मिलाएं।
बागवानी की जमीन पर यूरिया का छिड़काव करें, ताकि झड़े हुए संक्रमित पत्तियों का तेजी से विघटन हो सके।
बरसात की शुरुआत में ही करें छिड़काव
बरसात के मौसम की शुरुआत में कार्बेन्डाजिम (0.1%) या ऑरियोफंगिन (0.05%) + कॉपर सल्फेट (0.05%) की छिड़काव करना चाहिए। विभाग और विश्वविद्यालय द्वारा ग्रीन टिप कैप्टान, या डोडाइन या ज़िरम 600 मिली ग्राम, फ्लक्सापायरोक्सैड 75 ग्राम, डिफेनोकोनाज़ोल 50 ग्राम तक का स्प्रे फसल को फफूंदी से बचाने के लिए करने का निर्देश दिया गया है।
टेबुकोनाज़ोल, फ्लक्सापायरोक्सैड 250 ग्राम/लीटर, पायराक्लोस्ट्रोबिन 250 ग्राम/लीटर को मिलाकर सेब के पत्तियों पर स्प्रे करना बेहतर है। यह समय से पहले पत्ती गिरने और पत्ते को धब्बा लगने से बचाता है।
बागवानी में फूल निकलने से पहले टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% मिलाकर स्प्रे करना चाहिए। यह फूल को झड़ने से बचाता है।
सेब तोड़ने के 20-25 दिन पहले कैप्टान या ज़िरम का स्प्रे करना चाहिए यह सेब को सड़ने से बचाता है।