रजनीगंधा की खेती करनी है, तो किसान आजमाएं यह तरीका
नई दिल्ली। रजनीगंधा अपने सुगंध के कारण फूलों में काफी लोकप्रिय है। इसका प्रयोग गुलदस्ता तथा माला बनाने में किया जाता है। रजनीगंधा के फूलों से सुगंधित तेल भी तैयार किया जाता है। इसके फूल से बने तेल की मांग देश में काफी ज्यादा रहती है। लेकिन इससे अच्छा मुनाफा वही किसान कमा पाते हैं जो नई तकनीक यानी वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं।
कम मात्रा में डालें नाइट्रोजन
कृषि वैज्ञानिकों का मानें तो रजनीगंधा में नाइट्रोजन की अधिक मात्रा नहीं डालना चाहिए। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा फूलों की पैदावार को कम करता है। रजनीगंधा की अधिक उपज के लिए एक एकड़ खेत में 300-400 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद, 200 किलो नाइट्रोजन, 200 किलो फॉस्फोरस व पोटाश का मिक्सचर इसकी रोपाई के 2-3 दिन पहले, मिट्टी में पूरी तरह मिला देना चाहिए। ध्यान रहे , नाइट्रोजन की पूरी मात्रा का इस्तेमाल एक बार में नहीं करना है। इसे तीन बराबर भाग में बांटकर तीन बार में डालना है, ताकि इसके दुष्प्रभाव से बच सकें।
सिंचाई
सामान्य तौर पर गर्मी में 7-8 दिन तथा बरसात या जाड़े में 12-15 दिन पर सिंचाई करना चाहिए। गर्मी के दिनों में पानी की मात्रा कम से कम देनी चाहिए।
रोग एवं उपचार
यों तो रजनीगंधा पर कीटों का प्रकोप आमतौर पर नहीं होता लेकिन इसमें कभी-कभी बोट्रिटिस स्पॉट और ब्लाइट का प्रकोप हो जाता है। यह रोग पत्तियों को काफी हानि पहुंचाता है। लेकिन 100 लीटर पानी में 2 लीटर अमीनॉकल कॉपर ग्रीनो सोडियम साल्ट और हाइड्रो आक्सी डाइफिनायल मिलाकर देने से कीटों की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। 0.1 प्रतिशत डाइमैथोएट रोगर का 12 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करके पौधों को कीड़ाें से बचाया जा सकता है।
एक एकड़ से होगी लाखों की कमाई
रजनीगंधा खेत में गोबर का उपयोग उपज में काफी लाभदायक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी उपज के लिए एक एकड़ खेत में कम से कम 6-8 ट्रॉली गाय का गोबर डालना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए आप एनपीके या डीएपी जैसे उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं। माना जाता है कि इस विधि से खेती करने पर एक एकड़ की खेती में करीब 10 लाख रुपए की कमाई हो सकती है। आप अपने आसपास की फूल मंडियों में इसको भेज सकते हैं। मार्केट में रजनीगंधा के एक फूल की कीमत डेढ़ से आठ रुपये तक मिल जाती है।