लगाएं आंवला, कमाएं सेहत और मुनाफा
नई दिल्ली। आंवला जितना सेहत के लिए अच्छा फल माना जाता है, उसी तरह इसकी खेती भी किसानों/बागवानों के लिए काफी मुनाफे का सौदा साबित होती है। स्वास्थ्य, धार्मिकता और इलाज से जुड़े होने के कारण इस पेड़ और फल का मानव-जीवन से बहुत घना रिश्ता है। इस वजह से पिछले करीब पांच-छह दशक से भारत में इसकी व्यावसायिक खेती का प्रचलन बढ़ा है। हालांकि, पर्यावरण और संस्कार की दृष्टि से आंवले का वृक्ष लगाने की परंपरा देश में आदिकाल से चली आ रही है, लेकिन खासकर उत्तर प्रदेश में इसकी खेती में लोगों की रुचि और लगाव स्व. राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में प्रतापगढ़ के चिलबिला से जुड़े आंवला क्षेत्र गोंयड़े, जगेसरगंज आदि गावों को सरकारी तौरपर ‘आंवला पट्टी‘ घोषित कर आंवला की खेती को विशेष प्रोत्साहन देने की योजना के जमीन पर उतरने के बाद वहां इसकी बागवानी की बाढ़ सी आ गई। यही नहीं, व्यावसायिक प्रचलन ऐसा बढ़ा कि आज यहां के आंवले से निर्मित उत्पादों ने देश के साथ ही विदेशों में भी अपना सिक्का जमाया है।
बाजार में रहती हैं अच्छी मांग
यह कई सारे रोगों के लिए रामबाण दवा है जिसके कारण इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती हैं। किसान आंवले की बागवानी करके काफी मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में भी अब आंवले की खूब खेती होने लगी है। इसकी खेती के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे पहले नंबर पर आता है। तो नर्सरी टुडे आपको आज बताने जा रहा है कि किसान आंवले की खेती से तगड़ी कमाई कैसे कर सकते हैं।
आंवले की खेती में ध्यान रखें यह बातें
आंवले की कई किस्में होती हैं। इसलिए खेती करते समय यह ध्यान रखना चाहिए। कौन से किस्म के आंवले के कितने पौधे लगाए जा रहे हैं। पौधों की दूरी और मिट्टी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आंवला में क्रॉस पोलिनेशन होता है। पौधों को लगाने के बाद ही तुरंत इनकी सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद गर्मियों के मौसम में जरूरत पड़ने पर 7 से 10 दिनों के भीतर इनकी सिंचाई करते रहना चाहिए। दिसंबर-जनवरी के महीने में इनकी सिंचाई करने से बचना चाहिए। जड़ों के पास ज्यादा पानी रुकना आंवले के पेड़ के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
आयुर्वेद में भी है इसका महत्व
आंवले की मार्केट में खूब डिमांड होती है। इसके अंदर विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है। यह दवाई के तौर पर तो इस्तेमाल किया ही जाता है। इसके साथ ही तेल बनाने में भी आंवले का खूब इस्तेमाल होता है। तो वहीं इसका अचार और मुरब्बा भी बनाया जाता है।