A two-day workshop for farmers and gardeners was organized by Jogori Gramin Sanstha in Dharamshala

प्राकृतिक खेती विषय पर कार्यशाला का आयोजन

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में जोगोरी ग्रामीण संस्था की ओर से किसानों और बागवानों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उदेश्य  कृषि कार्य करने वाले लोगों में प्राकृतिक खेती और पारंपरिक पौष्टिक अनाज के बारे में जागरूक करना था। कार्यशाला में किसानों को जैविक घोल और खाद के बारे में जानकारी दी गयी।

कृषि कार्य विषय के विशेषज्ञों ने बताया कि आज के बदलते समय में जिस तरह से रासायनिक खेती हो रही है। जिसे आने वाली पीढ़ी का स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। लोगों की थाली से पारंपरिक पौष्टिक अनाज दूर होती जा रही हैं। प्राकृतिक तरीके से खेती करना बहुत ही पौष्टिक होती है। इस अवसर पर जागोरी ग्रामीण के लोगों के द्वारा किसानों को आने वाले समय में प्राकृतिक खेती और विधियों पर विशेष जोड़ दिया गया। इस अवसर पर सैकड़ो किसान मौजूद रहे। जैविक खेती में जैविक उर्वरक और खाद जैसे- कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, गाय के गोबर की खाद आदि का उपयोग किया जाता है।  प्राकृतिक खेती में मृदा में न तो रासायनिक और न ही जैविक खाद डाली जाती है।