जल्द शुरू होगी प्राकृतिक सिंदूर की खेती
नई दिल्ली। सनातन धर्म में सिन्दूर को सुगाह का प्रतिक माना जाता है। किसी भी शुभ अवसर पर लोग सिंदूर का तिलक लगाते हैं। सिंदूर के बिना महिलाओं का श्रृगार अधुरा लगता है। अब बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर प्राकृतिक सिन्दूर पर शोध शुरू करेगा। इसपर रिसर्च की जिम्मेदारी महिला वैज्ञानिकों को ही सौंपी गई है।
कैसा होता है सिन्दूर का पौधा
अन्य पेड़-पौधे की तरह सिन्दूर का भी पेड़ होता है। जिसके फल के अंदर पाउडर के रूप में सिन्दूर जैसा लाल रंग का होता है। कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं, क्योंकि इससे निकलने वाला रंग आपके होठों को प्राकृतिक रंग दे सकता है। सिन्दूर के पौधे हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र सहीत कई राज्यों में उगाई जाती हैं। सिंदूर के पौधे का कई औषधि महत्व भी है। बोलचाल के भाषा में इसे सिंदूरी भी कहते है। सौंदर्य के लिए इससे लिपस्टिक, हेयर डाई, नेल पॉलिश बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में बिकने वाले सिंदूर में मरकरी सल्फेट होता है जो हमारी त्वचा और बालों दोनों के लिए नुकसानदायक होता है।
प्राकृतिक सिन्दूर की खेती से महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होगी। विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. राजेश कुमार के अनुसार बिहार में प्राकृतिक सिन्दूर के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। प्राकृतिक सिन्दूर का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।