एक राजनयिक, जो बागवानी कर स्वयं उगाते हैं घर की सब्जियां

मलेशिया में मॉरीशस के उच्चायुक्त जगदीश्वर गोवर्धन अपने दफ्तर से फुर्सत मिलते ही एक बागवान की तरह पेड़-पौधों की देखभाल में जुट जाते हैं। वह न तो बाजार की सब्जी खाते हैं और न फल। जूस तक वे खुद घर में तैयार कर लेते हैं।

नर्सरी टुडे डेस्क
नई दिल्ली। बागवानी एक ऐसा शौक है, जिससे हमारी सेहत तंदुरुस्त रहती है और बोनस स्वरूप हमें जहरीले कीटनाशक से रहित जैविक व ताजी सब्जियां एवं फल भी खाने को मिलते हैं। इसी के फलस्वरूप अब घर की बालकनी या छत पर बागवानी का क्रेज बढ़ रहा है। ये क्रेज आर्थिक रूप से सक्षम, अधिकारी वर्ग व रिटायर्ड लोगों में कुछ ज्यादा है। मध्यम वर्ग का झुकाव फिलहाल इस ओर थोड़ा कम है।
यहां हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी बागवानी की ओर अवश्य उन्मुख हो जाएंगे। ये कहानी है एक ऐसे राजनयिक की, जिनके घर में सालों से सब्जियां खरीदी ही नहीं गर्इं। ये राजनयिक हैं मॉरीशस के, जो इन दिनों मलेशिया में पदस्थ हैं। इनका नाम है जगदीश्वर गोवर्धन। इनका भारत से भी खासा लगाव रहा है और ये भारत की संस्कृति के दीवाने हैं। जगदीश्वर न तो बाजार की सब्जी खाते हैं और न ही फल। जूस तक वे खुद घर में तैयार कर लेते हैं। अपने दफ्तर से फुर्सत मिलते ही वह एक बागवान की तरह पेड़-पौधों की देखभाल में जुट जाते हैं। उनके लिए पौधे किसी बच्चे से कम नहीं हैं।

जगदीश्वर गोवर्धन बताते हैं कि उनकी बागवानी में किसी भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं होता है और न ही वे पेड़-पौधों पर किसी कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। खास बात यह है कि उनके पास हर किसी के लिए बेहतर पैदावार का नुस्खा है, भले वो छोटी जगह हो या बड़ी। वह प्राकृतिक खाद व दवाएं तैयार करने का तरीका भी बताते हैं।

जगदीश्वर गोवर्धन बागवानी से संबंधित अपने कुछ सुझाव भी हमसे साझा करते हैं। वह बताते हैं, ‘घर में सब्जी उगाने के लिए प्लास्टिक, सीमेंट या मिट्टी के बने गमले लें, लेकिन ध्यान रहे कि वह अंदर से सूखा हो। चाहे तो धूप में एक-दो दिन उसे सुखा लें, अगर उसमें कीड़े या कवक होंगे तो वे खत्म हो जाएंगे। इसके बाद मिट्टी में गोबर की खाद अच्छी तरह से मिलाकर गमलों में भर लें। ध्यान रहे कि गमले में करीब 2 इंच की जगह खाली रहे जिससे पानी डालने पर बाहर न आए। अभी बारिश का मौसम है तो आप अपनी बालकनी या छत पर इस विधि से भिंडी, टमाटर, तोरई, ककड़ी, खीरा, करेला और मिर्च आदि बड़े आराम से उगा सकते हैं।’
जगदीश्वर गोवर्धन ने बागवानों के लिए यह सुझाव भी साझा किया, ‘अगर टमाटर लगाना है तो एक पका टमाटर लें और उसके चार टुकड़े काट लें और उन्हें आधा इंच मिट्टी में गाड़ दें। जैसे ही पौधा उगना शुरू होगा, उसे गमले में लगा दें। ध्यान रहे कि पानी त भी डाले जब मिट्टी सूखी हो, वरना ज्यादा पानी से पौधा खराब हो सकता है।’

बता दें कि जगदीश्वर गोवर्धन जिन-जिन देशों में बतौर राजनयिक भेजे जाते हैं, वहां सबसे पहले अपनी बागवानी का ही इंतजाम करते हैं। मलेशिया से पहले जब वह भारत में थे, तब भी यहां उन्होंने खूब सब्जियां उगाई थी। दिल्ली में आधा एकड़ में उनका बगीचा था, जहां वह खुद सब्जी उगाते थे। बीज से लेकर पौधों में पानी, खाद और गुड़ाई आदि सब कुछ वह स्वयं करते थे। उन्होंने सब्जियों के अलावा आंवला, नींबू और आम तक अपने बगीचे में उगाए थे।

प्राकृतिक खेती के समर्थक हैं जगदीश्वर गोवर्धन
जगदीश्वर गोवर्धन की बागवानों को सलाह है कि वह प्राकृतिक खेती को ही अपनाएं। इस माध्यम से अपने घर की मुख्य जरूरतों लहसुन, प्याज और ग्रीन बीन्स आदि को उगा सकते हैं। दरअसल लहसुन, करेला, लौकी और बीन्स उगाना सबसे आसान है, बीन्स तो 140 दिन में तैयार हो जाता है।

जगदीश्वर गोवर्धन ने बताया कि वह 5 साल तक भारत में कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुभाष पालेकर से मिलते रहे और उनसे प्राकृतिक खेती की बारीकियों को समझा। सुभाष पालेकर वह शख्सियत हैं, जिसने भारत में ‘शून्य बजट प्राकृतिक कृषि’ का आविष्कार किया है और ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें कृषि करने के लिए न ही किसी रासायनिक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है और न ही बाजार से अन्य औषधियां खरीदने की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए उन्हें वर्ष 2016 में भारत सरकार ने ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया था।

जिस भी देश में जाते हैं, वहां लोगों को करते हैं जागरूक
जगदीश्वर गोवर्धन बताते हैं कि वह लंबे समय तक मॉरीशस में स्वास्थ्य मंत्री रहे इसलिए वह जानते हैं कि कीटनाशकों का इस्तेमाल कितना खतनाक होता है। इसलिए वह नहीं चाहते कि उन्हें व उनके बच्चों को कैंसर या डायबटीज जैसी बीमारियां हों। कीटनाशकों के खतरनाक प्रभाव के चलते ही वह अपने घर में सब्जी और फल उगाना पसंद करते हैं। यही नहीं, वह जहां भी जाते हैं, वहां दूसरों को भी अपने घर में बागवानी करने को प्रेरित करते हैं।

जगदीश्वर गोवर्धन मलेशिया के अलावा इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस और ब्रूनेई दरुसलम में भी मॉरीशस के राजनयिक रहे हैं। वे यहां जब तक रहे, लोगों को कम खर्च में प्राकृतिक तरीके से सब्जी और फल उगाने की तरकीब बताते रहे।

ऐसे तैयार करें प्राकृतिक खाद
‘गाय का गोबर,गो-मूत्र, गुड़ और बेसन से ऐसी खाद बनती है, जिसकी लागत बेहद मामूली होती है। इससे आपकी पैदावार कई गुना बढ़ जाती है। अगर आपके पास एक देशी गाय है तो आप 15 एकड़ जमीन को हरा-भरा कर सकते हैं। इसे तैयार करने लिए आप 10 किलो गाय का गोबर,10 लीटर गो-मूत्र, 200 लीटर पानी में 1 किलो बेसन और 1 किलो गुड़ मिला कर तीन दिन के लिए छोड़ दें। इसमें बैक्टीरियां पैदा हो जाएंगे, फिर इसे एक एकड़ जमीन में आराम से इस्तेमाल कर सकते हैं।

कीटनाशक बनाने का तरीका
5 लीटर गो-मूत्र में 2 किलो नीम की पत्ती, 1 मुट्ठी मिर्च और 1 मुट्ठी अदरक पीसकर मिला लें और एक घोल तैयार कर लें। इस घोल को साल में कम से कम दो बार ही अपनी फसलों पर छिड़काव करें। इससे किसी बाहरी बीमारी से बचाव होगा।