सोनीपत के एक किसान अपनी पहल से बदली लोगों की सोच !

नई दिल्ली। विगत बहुत समय से लोगों के मन में एक अवधारणा घर कर गई थी कि खेती घाटे का सौदा है, लेकिन सोनीपत के एक किसान ने अपनी एक छोटी सी पहल से यह नजरिया पूरी तरह बदल कर रख दिया। उन्होंने साबित किया कि यदि समय के साथ बदलाव किया जाए तो खेती में आय बढ़ सकती है। सोनीपत के एमपी माजरा निवासी श्याम सिंह ने बताया कि सरकारी प्रोत्साहन के फलस्वरूप प्रदेश के किसान नजरिया बदलकर परंपरागत खेती की जगह बागवानी को अपनाएं तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। साथ ही बागवानी से किसान अपने उत्पादों को प्रोडेक्ट के रूप में प्रस्तुत कर किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाकर खुद भी मार्केटिंग कर सकते हैं।

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हरियाणा मंडप में ऐसे किसानों की स्टॉल हैं, जिन्होंने राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए औषधीय पौधों से हर्बल प्रोडेक्ट तैयार कर बदलाव की कहानी के नायक बने हैं। खेती से खुद के साथ दूसरों को रोजगार की सोच के साथ आगे बढ़ रहे सोनीपत के एमपी माजरा निवासी श्याम सिंह ने बागवानी से अपने ही प्रोडेक्ट तैयार किए हैं। हरियाणा मंडप की स्टॉल पर उन लोगों की अधिक भीड़ देखी जा रही है जो हर्बल प्रोडेक्ट खरीदने में रूचि रखते हैं।

किसान श्याम सिंह ने बताया कि उनके पास 18 एकड़ जमीन है। उन्होंने सबसे पहले आंवला 2 एकड में लगाया और उसके बाद आवला की खेती के बीच में ही हल्दी, सरसों, मूंगफली व सौंफ की खेती करने लगे। बागवानी में बड़ा बदलाव 2014 के बाद आया जब उन्होंने आंवला से अलग-अलग प्रोडेक्ट बनाने शुरू किये और अब वे 5 एकड़ में आंवला की खेती कर रहे हैं।

श्याम सिंह ने बताया कि उनके यहां आंवला, बेलगिरी, सौंफ, धनिया, मोरिका, सरसों, गुलाब की खेती करने के साथ इनके हर्बल प्रोडेक्ट भी तैयार किए जा रहे है। शुरू में उनके पास आंवला के कुछ प्रोडेक्ट तैयार होते थे लेकिन अब वे 35 प्रकार के प्रोडेक्ट तैयार कर रहें हैं जिनमें आंवला कैंडी, आंवला अचार, लड्डू, मुरब्बा, बर्फी, पाउडर, जूस, गुलाब से गुलाबजल व गुलकंद प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि अब उनके यहां 17 लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

श्याम सिंह के अनुसार पहले बागवानी विभाग ने उन्हें आंवला प्रोडेक्ट बनाने के लिए 11 लाख रुपए के प्रोजेक्ट में 40 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध करवाई थी। इसके बाद उन्होंने प्रोजेक्ट को बड़ा करने के लिए एमएसएमई योजना के अंतर्गत भी लोन लिया। उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती की अपेक्षा बागवानी और हर्बल में उन्हें तीन गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। हालांकि मार्केटिंग की आरंभ में कुछ समस्या आती है। उन्होंने खुद अपने खेत में आउटलेट बनाया हुआ है, जहां लोग उन द्वारा निर्मित प्रोडेक्ट खरीदने पहुंचते है। श्याम सिंह कई जिलों में अपने प्रोडेक्ट सप्लाई करते हैं।

परंपरागत खेती की बजाय बागवानी में फायदा है, लेकिन किसान को अपनी सोच बदलनी होगी और जब वह बागवानी में कदम बढ़ाएगा तब उसे अपने प्रोडेक्ट बनाने की भी ललक पैदा होगी। जब सोच बदले तभी सवेरा आएगा। अब तो किसान हरियाणा सरकार की एफपीओ योजना लाभ उठाते हुए अपने समूह बनाकर उत्पादों की मार्केटिंग भी कर सकते हैं जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी।