सूखे की मार के बाद, बर्फबारी नहीं होने से घटेगा सेब का उत्पादन
नई दिल्ली। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी कम होने के कारण सेब के उत्पादन में गिरावट आने के आसार बन गए हैं। सूखे की वजह से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के सेब व्यापार में 6,000 करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान लगाया गया है। वहीं, दूसरी ओर जनवरी में बर्फबारी न होने से बगीचों में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। सेब बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बर्फबारी नहीं हुई तो सेब का उत्पादन 50 प्रतिशत तक गिर सकता है। बता दें कि दिसंबर और जनवरी की शुरुआत में होने वाली बर्फबारी से सेब के बगीचों में कीट-पतंगे मर जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
बर्फबारी कम होने से बीमारियां बढ खतरा
बर्फबारी न होने से इस साल सेब में अधिक बीमारियां फैलने का खतरा है। सेब की विभिन्न किस्मों के लिए अलग-अलग चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। आमतौर पर सामान्य फसल के लिए 1000 से 1600 घंटे चिलिंग ऑवर्स की जरूरत रहती है। स्पर और गाला किस्मों के लिए 700 से 900 घंटे, जबकि गुठलीदार फलों के लिए 300 से 500 घंटे चिलिंग ऑवर्स जरूरी होते हैं। चिलिंग ऑवर्स पूरे न होने से असामान्य फ्लावरिंग का खतरा है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
बर्फबारी कम होने के कारण उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सब्जियों और मटर के साथ ही गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
सेब उत्पादन प्रभावित होना तय – कृषि विशेषज्ञ
बागवानी विभाग के जाने माने कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा है कि हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड में बर्फबारी नहीं हो रही। पीर पंजाल और धौलाधार पर्वतमालाओं पर भी बर्फ नहीं गिर रही। सेब और अन्य गुठलीदार फलों को इससे भारी नुकसान हो सकता है।