खेती के साथ साथ फ्लोरीकल्चर में किसानों के रुझान से बढ़ रही है आमदनी
नई दिल्ली। पर्वतीय इलाकों के किसानों का अब मिलेट आदि की फसल के साथ साथ फ्लोरीकल्चर की तरफ भी रुझान बढ़ रहा है। फूलों की खेती करने से किसानों की आमदनी में इजाफा हो रहा है साथ साथ बंदर और लंगूरों से भी फूलों की खेती को कम नुकसान पहुंचता है। इसलिए सड़क से लगे गांव गांवों में अब काश्तकार फूलों की खेती पर विशेष ध्यान दें रहे हैं।
गौरतलब है कि चमोली में उद्यान विभाग द्वारा जिला योजना से फ्लोरीकल्चर के लिए शुरु की गई मुहिम रंग ला रही है। काश्तकार योजना में 80 फीसदी सब्सिडी और उद्यान विभाग के तकनीकी सहयोग से व्यवासायिक स्तर पर लीलियम फूलों के कारोबार से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। योजना से जुड़े काश्तकार अभी तक लीलियम के विपणन से 5 लाख से अधिक की आय कर चुके हैं।
महिला स्वयं सहायता समूहों में गुलाब जल के उत्पादन और बिक्री से अपनी आर्थिकी बढ़ाई है। इससे और भी लोग इस खेती से जुड़ रहे है।
खूबसूरत लीलियम का पुष्प सिर्फ 70 दिनों में तैयार होता है। शादी, पार्टी और घरेलू सजावट के लिए इस फूल की बड़े पैमाने पर डिमांड है। सरतोली गांव के महेंद्र सिंह, ताजबर सिंह और गोपेश्वर के नीरज भट्ट आदि किसानों का कहना है लीलियम फूलों की खेती से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। उद्यान विभाग भी पूरा सहयोग दे रहा है।
जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह का कहना है कि किसान अब पारम्परिक खेती के साथ ही फ्लोरीकल्चर में भी रुचि दिखा रहे हैं। सरकार फ्लोरीकल्चर के क्षेत्र में काश्तकारों को प्रोत्साहित कर रही है।