तेजी से बन रहा बदरपुर में एशिया का सबसे बड़ा ईको पार्क, 2024 में आम चुनाव से पहले हो सकता है उद्घाटन
नर्सरी टुडे डेस्क
दिल्ली। प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में एशिया का सबसे बड़ा इको पार्क विकसित किया जा रहा है। हाल ही में इसका दौरा करने आए केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि यह पार्क “दिल्ली का फेफड़ा” साबित होगा।
बता दें कि दिल्ली के बदरपुर विधानसभा में केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के अधीन एनटीपीसी द्वारा एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ईको पार्क बनाया जा रहा है। इस पार्क को करीब 885 एकड़ क्षेत्रफल में विकसित किया जा रहा है जिसमें लगने वाली कुल लागत करीब 500 करोड़ है। इस पार्क की परिधीय लंबाई करीब आठ किलोमीटर है। संभवत: इसका उद्घाटन 2024 के शुरुआत तक कर दिया जाएगा।
इस बारे में एनटीपीसी के एक अधिकारी ने ‘नर्सरी टुडे’ को बताया कि ईको पार्क तैयार होने के बाद यह पार्क वातावरण से हर साल करीब 4320 मिलियन टन कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को अवशोषित करेगा। इससे वातावरण में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा कम होगी, प्रदूषण घटेगा और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी।
गौरतलब है कि इससे पहले पार्क की ये जमीन एनटीपीसी की थी और इसमें एनटीपीसी के विद्युत प्लांट के लिए डंपिंग क्षेत्र बनाया गया था जहां फ्लाईऐश का निस्तारण किया जाता था, लेकिन बढ़ते प्रदूषण से होने वाली परेशानियों के चलते साल 2018 में एनटीपीसी प्लांट को बंद कर दिया गया। साथ ही इसे हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई।
चार फेज में विकसित होगा ईको पार्क
पहला फेज: पहले फेज का ज्यादातर कार्य पूरा हो चुका है। इसमें ईको पार्क परिसर में विभिन्न प्रजाति के पौधों को लगाकर लान और जंगल, अवलोकन टीला (आब्जर्वेशन माउंट), रिफलेक्टिव पूल, मछलियों का तालाब, कमल सरोवर (लोटस पांड), योग व ध्यान केंद्र, जोन आफ साइलेंस, कैफेटेरिया, फूलों के बगीचे, गुलाब का अलग बगीचा, औषधीय बगीचा, बैठने के लिए बंबू गजीबो, टेंसाइल गजीबो, ब्रिक वाल्ट गजीबो, दो तरह के हरित गृह, तितलियों का पार्क, किड्स जोन इत्यादि विकसित किया जा रहा है। इस फेज में विकसित किए जाने वाले लान व जंगल में शीशम, बांस, नीम, दाल मोठ, शहजन, चंपा, गुलमोहर इत्यादि समेत 40-50 प्रजातियों के पेड़-पौधे शामिल हैं। 15 मीटर की ऊंचाई वाले अवलोकन टीले से पूरे 885 एकड़ के पूरे ईको पार्क का नजारा लिया जा सकेगा।
रिफ्लेक्टिव पूल में आसपास के पेड़-पौधों और आने-जाने वाले लोगों को प्रतिबिंब दिखाई देगा। पूल के बीच में घूमने के लिए रास्ते बनाए जाएंगे जहां घूमकर लोग पूल में बने प्रतिबिंब की फोटो वगेरह करके आनंद उठा सकेंगे। योग और ध्यान केंद्र के आस-पास नरम घास और पेड़-पौधे लगे होंगे और बिल्कुल बीच तक जाने के लिए रास्ता बनाया जाएगा। यहां पानी के बीच-बीच में लोगों के बैठने व ध्यान करने की व्यवस्था विकसित की जा रही है।
जोन ऑफ साइलेंस को भूतल से दो-तीन मीटर गहराई में विकसित किया जाएगा। इसके चारों ओर बांस के पेड़ विकसित किए जाएंगे और इन पेड़ों के बीच शांति का वातावरण बना रहेगा। दो तरह के हरित गृह में मरुस्थलीय पौधों और ठंडे व वर्षा वाले पौधों के जंगल विकसित किए जाएंगे, वहीं किड्स जोन में जिम, स्केटिंग, झूले, फुटबाल, टेनिस इत्यादि खेल के मैदान विकसित किए जा रहे हैं।
दूसरा फेज: दूसरे फेज का भी काफी कार्य हो चुका है। इसके अंतर्गत पार्क में 40 एकड़ की जमीन पर बोटिंग झील बनाई जाएगी। इसके पास में ही लोटस प्लाजा बनाया जाएगा जहां घूमने आए लोग अच्छे दृश्य देखते हुए आराम भी कर सकेंगे। साथ ही भूल भुलैया, एम्फीथियेटर और यहां बैठने के लिए फ्लावर पवेलियन और फारेस्ट पवेलियन विकसित किया जाएगा। इसके अलावा लोगों के खाने पीने व हस्तकरघा उद्योग के सामानों को प्रोत्साहित करने के लिए चार-पांच हाट (बाजार) और हरियाली बढ़ाने के लिए 25 एकड़ से अधिक जमीन पर बांस के जंगल विकसित किए जाएंगे। इस जंगल में अलग-अलग प्रजातियों के बांस शामिल होंगे।
तीसरा व चौथा फेज: तीसरे फेज में जंगल सफारी और चौथे फेज में पार्क की आठ किमी लंबाई वाली परिधि पर परिधीय जंगल विकसित किया जा रहा है। इसको विकसित करने के लिए सीपीडब्ल्यूडी, एनएचएआई और महुआ (आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय) की मदद ली जा रही है। इसे विकसित करने में सीपीडब्ल्यूडी द्वारा सेंट्रल विस्टा परियोजना से प्रभावित वृक्षों का ट्रांसप्लांटेशन किया जा रहा है। साथ ही महुआ की ओर से विभिन्न संस्थानों को वृक्षारोपण के लिए जमीन आवंटित की जाएगी, जिसमें संस्थान को आवंटित की गई जमीन में पौधे लगाने होंगे।
बिजली आपूर्ति के लिए एक मेगावाट क्षमता का लगेगा सोलर प्लांट
ईको पार्क की पार्किंग में बिजली आपूर्ति के लिए एक मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया जाएगा। इससे यहां बिजली के लिए अतिरिक्त स्रोतों पर निर्भरता कम रहेगी और सोलर प्लांट से ही बिजली आपूर्ति होती रहेगी। इसके साथ ही पार्क के प्रशासनिक भवन में बिजली आपूर्ति के लिए 50 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया जा चुका है। इससे पूरे प्रशासनिक भवन में बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
बदरपुर विधायक के प्रयासों से बन रहा पार्क
‘नर्सरी टुडे’ से बातचीत में बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने बताया कि पहले यहां एनटीपीसी का डंपिंग क्षेत्र होने के चलते स्थानीय लोगों को काफी परेशानी होती थी और बीमारियों का खतरा भी बना हुआ था। इसका हल निकालने के लिए क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर हमारी ओर से मामले से संबंधित विभागों व मंत्रालयों से संपर्क किया गया और मामला केंद्र सरकार के संज्ञान में लाया गया, जिसके बाद साल 2018 में केंद्र सरकार के नेतृत्व में एनटीपीसी प्लांट को बंद करके इसे हरित क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई।