केले के पौधों को झुलसने से बचाने के लिए तेज धूप से बचाव ज़रूरी

हाजीपुर: केले के पौधे आम तौर से बारिश के बाद अचानक तेज धूप के कारण झुलसने लगते हैं। जब बारिश के बाद सूरज निकलता है, तो गीली पत्तियां और मिट्टी पौधों को जला देती हैं, जिससे पत्तियों को नुकसान होने के साथ साथ, फलों की गुणवत्ता में गिरावट और उत्पादन में कमी होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

केले के पौधे को तेज धूप से बचाने के लिए पौधों को अस्थायी या स्थायी छाया की बहुत ज़रुरत है।  इसके लिए छाया जाल या कपड़ा लगाकर सूरज की किरणों की तीव्रता को कम करने और पौधों को ठंडा रखने में मदद मिलती है।

लंबे पौधों या पेड़ों के साथ अंतर-फसल लगाना चाहिए, जिससे आंशिक छाया मिलती है और केले के पौधों को पर्याप्त प्रकाश भी मिलता है। किसान ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें ताकि पौधों को बिना जलभराव के आवश्यक नमी मिलती रहे। बारिश के बाद मिट्टी सूखने पर ही सिंचाई की जाए, ताकि पौधों को अनावश्यक पानी न मिले।

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इसके अतिरिक्त, कुछ स्प्रे और पौधों के लिए विशेष टॉनिक भी उपलब्ध हैं, जो केले के पौधों को अचानक तापमान में बदलाव और तेज धूप से बचाने में मदद कर सकते हैं। इन उत्पादों में मौजूद एंटी-ट्रांसपिरेंट पत्तियों पर सुरक्षात्मक परत बनाते हैं और पौधों की गर्मी के प्रति संवेदनशीलता को कम करते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, इन उपायों को अपनाकर केले की फसल को तेज धूप से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है और फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बनाए रखा जा सकता है।

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