शिमला मिर्च में बैक्टीरियल विल्ट रोग किसानों के लिए चुनौती

अलमोरा: शिमला मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए बैक्टीरियल विल्ट रोग एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह रोग Ralstonia solanacearum बैक्टीरिया के कारण होता है। इससे पौधों में अचानक मुरझाने और सूखने की समस्या होती है। बैक्टीरिया मिट्टी, पानी और संक्रमित बीजों के माध्यम से तेजी से फैलता है। संक्रमित पौधों की जड़ें काली और सड़नग्रस्त हो जाती हैं। तने को काटने पर पानी जैसा सफेद स्राव दिखाई देता है। इस बैक्टीरिया की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह मिट्टी में लंबे समय तक निष्क्रिय अवस्था में रह सकता है।

इसके बचाव के  विभिन्न तरीकों हैं: फसल चक्र अपनाएं, बैक्टीरिया के मेजबान फसलों, जैसे टमाटर, बैंगन और आलू से परहेज करें। मक्का, बाजरा, गेहूं, या धान जैसी फसलों का चयन करें। बैक्टीरियल विल्ट प्रतिरोधी शिमला मिर्च की किस्में क्षेत्रीय कृषि संस्थानों से प्राप्त करें। गर्मियों में खेत को पारदर्शी पॉलीथीन शीट से ढकें ताकि मिट्टी का तापमान बढ़े और बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। मिट्टी का pH 6.5-7.0 के बीच रखना जरूरी है।

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जैविक उत्पाद जैसे Pseudomonas fluorescens और Bacillus subtilis का उपयोग बैक्टीरिया को नियंत्रित करने में मदद करता है। रासायनिक उपचार में Copper oxychloride (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) और Streptocycline (0.3 ग्राम प्रति लीटर) का मिश्रण उपयोगी है।

खेतों में साफ पानी का प्रवाह सुनिश्चित करें और जलभराव से बचें। ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें। रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटाकर गहराई में दबा दें या जला दें। खेतों की नियमित निगरानी करें और नर्सरी स्तर पर स्वस्थ पौध तैयार करें। जैविक खाद और उर्वरकों का उपयोग करें ताकि पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके।