Carnation Flower cultivation : कार्नेशन फूल की खेती कर किसान कमा सकते हैं कुछ समय में अच्छा मुनाफा
नई दिल्ली। आज के दौर में सरकार खेती एवं बागवानी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समय समय पर किसानों के लिए लाभकारी योजनाएं ला रही हैं। ऐसे में फूलों की खेती कर किसान सरकार की तरफ से अच्छा खासा अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। बिहार के किसान आमदनी के लिए पारंपरिक खेती के अतिरिक्त अन्य आमदनी के विकल्प भी खोज रहे हैं। इनमें अब कार्नेशन की खेती भी सम्मिलित हो गई है। दरअसल, कार्नेशन एक लोकप्रिय फूल है, जिसकी खेती इस समय बिहार सहित संपूर्ण भारत में की जा रही है। हालांकि, बिहार के किसान इसकी खेती बाकी क्षेत्रों की तुलना में अधिक कर रहे हैं। कार्नेशन के फूल की खेती कर किसान कुछ ही दिनों के अंदर अमीर बन सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि कारनेशन एक विश्व स्तर का महत्वपूर्ण फूल है। फूलों की पंखुड़ियाँ कागज-सी कटी-कटी अत्यंत सुंदर लगती हैं। फूलों में लौंग जैसी भीनी-भीनी सुगंध होती है। यह फूल अपने प्रकार, रंग एवं सुगंध के कारण गमले, क्यारियों, बगीचे में लगाने के लिए अत्यंत ही लोकप्रिय है। फूलों को काटने के पश्चात कई दिनों तक ताजा बने रहने के कारण कट-फ्लावर के रूप में ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसके फूलों के विभिन्न रंगों में जैसे – लाल, गुलाबी, सफेद, पीला, चित्तीदार खिलने के कारण इन्हें गुलदस्ते में सजाने और पुष्पविन्यास के लिए ज्यादा पसंद किया जाता है।
कारनेशन की लगभग 250 जातियाँ पाई जाती हैं जिनमें डायंथस क्रायोफायलस, डायंथस बारबेट्स और डायंथस चायनेन्सिस जातियों को ही फूल के लिए लगाया जाता है। कारनेशन “क्रायोफायलेसी” कुल का पौधा है। डायंथस क्रायोफायलस जाति को अच्छे फूल उत्पादन के लिए महत्व दिया जाता है।
क्यों की जाती है कार्नेशन की खेती बड़े पैमाने पर
बिहार राज्य में इस फूल की इतनी ज्यादा खेती इसलिए हो रही है, क्योंकि ये लोकल मार्केट के साथ साथ विदेशी बाजार के अंदर भी अच्छी कीमतों पर बिकता है। इस फूल का सबसे अधिक इस्तेमाल सजावट एवं गुलदस्तों में होता है। हालांकि, इसकी खेती करना इतना सुगम भी नहीं होता है। इसके लिए आपको 15 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 6.0 और 7.0 के मध्य पीएच स्तर वाली मिट्टी की जरूरत होती है।
कब की जाती है खेती
बिहार राज्य में इस फूल की खेती अक्टूबर से नवंबर के मध्य होती है। हालांकि, कुछ किसान इसकी खेजी जून से जुलाई के मध्य भी करते हैं। इस फूल की बहुत सारी किस्में बिहार सहित संपूर्ण भारत में उगाई जाती हैं। इसमें स्टैंडर्ड कार्नेशंस, स्प्रे कार्नेशंस और मिनिएचर कार्नेशंस सम्मिलित हैं। जब आप इसकी खेती कर रहे हों तो आपको कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। जैसे इनके पौधों के मध्य 25 से 30 सेंटीमीटर का फासला होना चाहिए।
सालभर बनी रहती है कार्नेशन फूलों की मांग
जैसा कि हम जानते हैं फूलों की जरूरत हर एक कार्यक्रम में होती है। अब चाहे वह किसी की शादी हो या किसी का जन्मदिन। यहां तक कि बहुत सारे लोग आज कल प्रेम का इजहार करने के लिए फूल का इस्तेमाल करते हैं। फूल को अधिकांश अच्छे कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया जाता है। फूल की मांग पूरे बारह महीने सालभर बनी रहती है।
कैसे की जाती है कटाई
जब यह फूल बड़े हो जाते हैं और अच्छे खासे तरीके से खिल जाते हैं, तो इनकी कटाई के लिए चाकू और कैंची का उपयोग होता है। इनके फूलों को काटने के लिए बेहद सावधानी पूर्वक काम करना पड़ता है। क्योंकि इन फूलों की जितनी गुणवत्ता अच्छी होगी, बाजार में इनके फूलों की मांग उतनी ही अधिक होगी। ये फूल दिखने में गुलाब की तरह होते हैं, इसलिए अधिकांश लोग इनको गुलाब के स्थान पर सजाते हैं। हल्के गुलाबी रंग के भरे भरे यह फूल जहां लगते हैं, वहां की शोभा बढ़ा देते हैं। यदि आप भी पारंपरिक खेती से हट कर कुछ करना चाहते हैं, तो आपके लिए कार्नेशन के फूलों की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकती है। इनकी सहायता से आप वार्षिक अच्छी आमदनी कर सकते हैं। किसानों को फूलों की खेती के लिए सरकार की ओर से अच्छा-खासा अनुदान भी प्रदान किया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में फूल की खेती अच्छे खासे पैमाने पर की जाती है।