केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने आम के किसानों के लिए जारी की ये सलाह
नई दिल्ली। मई और जून के महीनों में सबसे अधिक डिमांड वाले फलों में आम आता है। मार्च का समय आम की खेती करने वाले किसानों के लिए काफी अहम है। क्योंकि अगर मार्च में आम की सही तरीके से देखभाल की जाती है तो पैदावार भी बेहतर होती है। अब लखनऊ के रहमानखेड़ा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने आम के बागवानों के लिए विशेष सलाह जारी की है, ताकि किसान उस सलाह पा चलकर आम के बगीचे से अच्छा लाभ प्राप्त कर सकें।
खर्रा रोग से क्षति की संभावना
बागवानी संस्थान ने कहा है कि इस सप्ताह उत्तर प्रदेश में खर्रा रोग से क्षति की संभावना जताई गई है।अगर फसल में 10 प्रतिशत से अधिक पुष्पगुच्छों पर खर्रा की उपस्थिति देखी जाती है, तो टेबुकोनाजोल और ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन को मिलाकर या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव किया जा सकता है।
भुनगा कीट से बचाने की सलाह
आम के लिए भुनगा कीट सबसे ज्यादा हानिकारक है। यह कीट आम के बौर, कलियों तथा मुलायम पत्तियों पर एक-एक करके अंडे देते हैं और कीट अंडे से एक सप्ताह में बाहर आ जाते हैं। बाहर आने के बाद यह बौर के रस को चूस लेते हैं जिसके कारण फल अविकसित अवस्था में की गिर जाते हैं। इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान के केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने किसानों को सलाह दी है कि अगर पुष्पगुच्छ पर भुनगे की उपस्थिति देखी जा रही है, तो तत्काल इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करना चाहिए।
गुच्छ मिज कीट पत्तियों को प्रभावित करता है
गुच्छ मिज अत्यंत हानिकारक कीट हैं, जो आम की फसल को हानि पहुंचाते हैं। इसका प्रकोप आम के कोमल पत्तियों पर होता है। इससे प्रभावित बौर व पत्तियों की आकृति टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। इस कीट को खत्म करने हेतु डायमेथोएट का छिड़काव करें। गुजिया कीट के कारण बौर और पत्तियां सूखने लगती हैं। इसलिए समय रहते किसानों को कार्बोसल्फान का छिड़काव पेडों पर कर देना चाहिए।