उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन बागवानी के लिए गंभीर चुनौती

देहरादून: उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बागवानी क्षेत्रों पर दिखने लगा है। हिमालय की गोद में बसे इस राज्य को हमेशा से फलों की उच्च कवालिटी और  अनुकूल जलवायु के लिए जाना जाता था, लेकिन बदलते मौसम ने किसानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। असामान्य बारिश, तापमान में तेजी से बढ़ोतरी, सूखा और प्राकृतिक आपदा ने फसलों की पैदावार और गुणवत्ता को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसके चलते किसानों को  आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है।

राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने इस समस्या पर चिंता जताई और कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ- शहरीकरण भी बागवानी क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती बन गया है । उन्होंने बताया कि  बगीचों का समाप्त होना भी इसके लिए जिम्मेदार है। जोशी ने कहा कि सरकार इस समस्या से निपटने के लिए सख्त कानून बनाएगी।

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मंत्री जोशी ने बताया कि राज्य में उगने वाले पहाड़ी फलों की मिठास और गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। “एप्पल मिशन” जैसे कार्यक्रमों के तहत किसानों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की खेती में मदद दी जा रही है। इसके तहत किसानों को जलवायु अनुकूल तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई योजना के तहत किसानों को 80% सब्सिडी दी जा रही है, जिससे जल संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।

कृषि मंत्री ने आगे कहा कि उत्तराखंड में फल उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए तकनीकी सुधार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए शोध को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि राज्य की बागवानी की रफ़्तार को दोबारा तेज़ किया जा सके। राज्य सरकार यह भी प्रयास कर रही है कि उत्तराखंड की बागवानी को जलवायु परिवर्तन के असर से बचाया जा सके।