नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने यमुना बाढ़ के मैदानों में पर्यावरण सुधार के लिए एक नई पहल शुरू की है। इस पहल के तहत दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने बाढ़ के मैदानों और पार्कों में जूट के कालीन बिछाने का काम शुरू कर दिया है। एलजी सक्सेना ने विशेष रूप से यमुना नदी के किनारे स्थित 9 पार्कों में जूट कालीन बिछाने का सुझाव दिया था।
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इसका मुख्य उद्देश्य धूल को उड़ने से रोकना, मिट्टी के कटाव को कम करना और पर्यावरण को बेहतर बनाना है। इसके पहले, इन इलाकों में कंक्रीट बिछाई जाती थी, लेकिन अब उसकी जगह प्राकृतिक जूट का इस्तेमाल किया जा रहा है। ईस्ट पार्क में जूट कालीन बिछाने से शुरुआती तौर पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। जमीन अब ज्यादा मजबूती से बंधी नजर आ रही है और पार्क में चलने और साइक्लिंग करने वालों के लिए रास्ते भी सुरक्षित बने हैं। इससे धूल उड़ने की समस्या कम हो गई है जिससे इस छेत्र में वायु प्रदूषण में भी कमी नज़र आ रही ही
एलजी ने डीडीए को निर्देश दिया है कि भविष्य में नार्दर्न रिज क्षेत्र सहित अन्य खुले स्थानों पर भी पथरीकरण (कंक्रीट बिछाने) के बजाय इसी तकनीक को अपनाया जाए। इस उपाय से बाढ़ के मैदानों में मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद मिलेगी। यह पहल न केवल दिल्ली के पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाएगी, बल्कि यमुना नदी के पुनर्जीवन में भी एक बड़ा कदम साबित होगी।