लखनऊ के रहमानखेड़ा में विकसित हुईं अमरूद की स्‍वादिष्‍ट प्रजातियां, होगी बंपर कमाई

नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा लखनऊ ने अमरूद की अलग- अलग प्रकार ललित, श्वेता, धवल और लालिमा प्रजातियां विकसित की हैं। इनके फल देशी अमरूद से बड़े होते हैं और स्वाद एवं मिठास में बेहतर होने के नाते इनका बाजार भाव भी अच्छा मिल जाता है। इनके पौधे संस्थान की पौधशाला में विक्रय के लिए उपलब्ध भी हैं। इस समय अमरूद का सीजन है, फिलहाल हर छोटे-बड़े चौराहे पर यह उपलब्ध हैं। इसके औषधीय महत्व के मद्देनजर इसे खूब खाइए और लगाइए भी। बेहतर प्रबंधन के जरिए यह आसानी से बड़े गमले में आपके किचन गार्डेन का हिस्सा बन सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन की सरकार स्वच्छता को लेकर प्रतिबद्ध है। प्रदेश की सरकार बागवानी विकास के लिए किसानों को अमरूद के पौधे उपलब्ध  करा रही है। जिसके कारण किसानों में अमरूद की खेती के प्रति जागरुकता दिखाई दे रही है।

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अमरूद की विकसित प्रजातियों की खूबी

श्वेता

यह एप्पल के कलर का होता है, जो ज्यादा फल देने वाला होता है। इस किस्म के अमरूद का वृक्ष मध्यम आकार का होता है। फल थोड़े गोल होते हैं। जिसका वजन 200 ग्राम से ज्यादा होता हैं। अगर सही तरीके से इसकी देखरेख किया जाए तो एक सीजन में करीब 90 किग्रा फल प्राप्त होते हैं।

धवल

यह प्रजाति इलाहाबाद सफेदा से भी लगभग 20 फीसद से अधिक उपज देती है। फल गोल, चिकने एवं मध्यम आकार 250 ग्राम के होते हैं। पकने पर फलों का रंग हल्का पीला होता है।

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लालिमा

यह एप्पल ग्वावा से चयनित किस्म है। फलों का रंग लाल होता है। प्रति फल औसत वजन 190 ग्राम होता है। फसल भी अच्छी होती है।

ललित

इस प्रजाति के फल भीतर से गुलाबी और बाहर से आकर्षक लाल आभायुक्त केसरिया पीले रंग के होते हैं। फल का गूदा सख्त एवं शर्करा एवं अम्ल के उचित अनुपात के साथ ही गुलाबी रंग का होता।

खनिज, विटामिंस से भरपूर

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन के ने बताया कि अपने खास स्वाद और सुगंध के अलावा विटामिन सी से भरपूर अमरूद में शर्करा, पेक्टिन भी होता है। साथ ही इसमें खनिज, विटामिंस और रेशा भी मिलता है।

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