इस साल जरूर लगाएं अपने घर पर काले धतूरे का पौधा, भगवान भोलेनाथ के साथ आप भी रहेंगे प्रसन्न

नर्सरी टुडे डेस्क

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों को पूजनीय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ पौधों में देवी-देवताओं का वास होता है। तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है, जबकि पीपल के पौधे में ब्रह्म, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इसके साथ ही बरगद का पेड़, शमी का पौधा, केले का पेड़ और काले धतूरे के पौधे में भी देवता वास करते हैं। धतूरा शिव जी को बेहद ही प्रिय है। अत: शिव पूजा के दौरान शिवलिंग पर धतूरा अर्पित किया जाता है। काले धतूरे का पौधा आम धतूरा जैसा ही होता है लेकिन इसके फूल सफेद की जगह गहरे बैंगनी रंग के आते हैं, साथ ही पत्तियों में भी कालापन होता है इसलिए इसे काला धतूरा के नाम से जाना जाता है।

धार्मिक नजरिए से ऐसा माना जाता है कि अगर इन पौधों को घर में सही दिशा में रख लिए जाए और विधि विधान के साथ नियमित रूप से इनकी पूजा की जाए, तो घर में भगवान की कृपा बनी रहती है। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए ज्योतिषशास्त्र में काले धतूरे के पौधे के बारे में बताया गया है। इसे घर में लगाने से और नियमित पूजा पाठ करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, घर में काले धतूरे का पौधा लगाने से ऊपरी हवा का वास नहीं होता है। मान्यता है कि काला धतूरा रविवार या मंगलवार के दिन घर में जड़ लाकर लगा सकते हैं। इसे घर में लगाने से घर में मौजूद नकारात्मक शक्ति समाप्त होती है।

काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम
काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम धतूरा स्ट्रामोनियम DHATURA STRAMONIUM है। अंग्रेजी में इसे डेविल्स एप्पल Devil’s apple, डेविल्स ट्रम्पेट Devil’s trumpet के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में इसे दस्तूर, मदन, उन्मत्त ,शिव प्रिय महामोधि, कनक आदि नाम से जानते हैं।

काला धतूरा की पहचान
यह एक क्षुप जाति की वनस्पति है। इसके पत्ते बड़े डंठल युक्त नोकधारी अंडाकार होते हैं। इसका फूल घंटे के आकार का होता है। फूल का रंग बीच में सफेद होता है। यह फूल पांच पंखुड़ियों वाले होते हैं। इसका फल गोल कांटेदार और बहुत बीजों वाला होता है। इस वनस्पति के सूखे पत्ते और बीज औषधि प्रयोग के काम में आते हैं। इसके बीज कालापन लिये हुए भुरे रंग के चपटे, खुर्दरे और कड़वे होते हैं। इनमें गंध नहीं होती मगर फूटने पर एक प्रकार की उग्र गंध आती है।

काला धतूरा के पत्तों का उपयोग अस्थमा में
काला धतूरा के पत्तों का उपयोग अस्थमा के निवारण में बहुत प्राचीन काल से किया जा रहा है। उसके पत्तों को चिलम में भरकर अस्थमा पीड़ित व्यक्ति को धूम्रपान कराया जाता है लेकिन यह धूम्रपान पूरी तरह से चिकित्सक की देखरेख में कराया जाता है। धतूरा के पत्तों का प्रयोग धूम्रपान के रूप में करने से श्वास नली में जमा बलगम पतला होकर बाहर निकल जाता है और श्वास नलिका की सूजन कम हो जाती है।