पारंपरिक फसलों की जगह पपीता की खेती से कमाएं अधिक मुनाफा: विशेषज्ञ

सिमडेगा: कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान अगर परंपरागत फसलों को छोड़कर आधुनिक तकनीक से पपीता की खेती करें तो कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं। पपीते की “रेड लेडी” प्रजाति किसानों को प्रति हेक्टेयर तीन लाख रुपये की शुद्ध कमाई दे सकती है। पपीता विटामिन ए का अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल, शुगर और वजन घटाने में भी मददगार होता है, इसीलिए इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, लोग औषधिए गुण होने के कारण पपीता का खूब सेवन कर रहे हैं।

पपीते की फसल साल भर के अंदर तैयार हो जाती है, जिससे यह नकदी फसल की तरह मानी जाती है। पपीते की खेती 1.8X1.8 मीटर की दूरी पर पौधे लगाने पर प्रति हेक्टेयर एक लाख रुपये तक खर्च आती है और 1.25X1.25 मीटर की दूरी पर पेड़ लगाकर सघन खेती करने पर दो लाख रुपये तक लागत आती है, जिससे प्रति हेक्टेयर तीन से चार लाख रुपये की कमाई की जा सकती है।

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पपीते की खेती जून-जुलाई, अक्टूबर-नवंबर या फरवरी-मार्च में की जा सकती है। इसकी फसल पानी के प्रति संवेदनशील होती है, इसलिए सिंचाई का ध्यान रखना आवश्यक है। पपीते की खेती के लिए वैज्ञानिक इसे हल्की बलुई दोमट मिट्टी और 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सबसे उपयुक्त मानते हैं।

पपीते की खेती के बीच किसान विभिन्न तरह कि सब्जियां जैसे प्याज, पालक, मेथी, मटर और बीन उगाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। हालांकि, एक ही खेत में बहुत लम्बे समय तक  पपीते की खेती न करना बेहतर होता है, क्योंकि इससे फलों का आकार छोटा होने के साथ साथ प्रोडक्शन भी कम होता है।