पान की खेती से किसान बेहाल, पिछले दो साल से हो रहा है नुकसान
नई दिल्ली। बिहार के इस्लामपुर प्रखंड़ के खुदागंज पान की खेती के लिए प्रसिद्ध है, यहां के दर्जनों गांव के किसान पान की खेती करते हैं। पिछले दो साल से पान की खेती करने वाले किसान बेहाल थे। जिसके कारण पान कृषकों को लाखों का नुक्कसान हुआ था, कोरोना महामारी की वजह से इन इलाकों का पान वाराणसी नहीं जा सका। जिसके वजह से किसानों को औने-पौने दाम में पान की पत्ते को बेचने पड़े थे। जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ था। वहीं 2021 में बारिश के कारण पान की फसल बर्बाद हो गयी थी।
पान की फसल बर्बाद होने के कारण पान किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। किसानों को इन विपदाओं से उबरने के बाद एक बार पुन: किसान पान की खेती करना शुरू कर दिया है। इस्लापुर प्रखंड़ के खुदागंज थाना क्षेत्र के सेरथुआ सराय, बौरा, कोचरा, मैदी, इमादपुर, डौरा जैसे दर्जनों गांव के किसान पुन: पान के फसल को नए सिरे से लगाने लगे हैं।
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हर साल होता है नुकसान
प्रखंड में बृहद पैमाने पर पान की खेती की जाती है और प्रखंड़ के दर्जनों गांव के किसान का पान की खेती प्रमुख पेशा है। यहां के दर्जनों गांव के किसान पान की खेती से अपनी जीविका को चलाते हैं। बच्चों की पढ़ाई और परिवार में शादी-विवाह भी पान की खेती से करते हैं। पान की फसल को कच्ची फसल माना जाता है। यह न ठंड़ न ग्रमी ना ज्यादा बरसात को झेल पाता है। लगभग हर साल किसानों पर मौसम का मार पड़ती है। कभी भीषण गर्मी , तो कभी अधिक बारिश के कारण पान की फसल गल जाती है। सरकार की ओर से मुआवजे के एलान तो किया जाता है, लेकिन इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुच पाता है।
पान की फसल की नुकसान होने के कारण किसान अब अपनी परंपरागत पान की खेती को छोड़ रहे हैं। कारण यह है कि सरकार की ओर से पान की फसल की नुकसान होने पर किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता है। जिसके कारण किसान देश के बड़े-बड़े महानगरों में जाकर फैकट्री में रोजगार कर रहे हैं। पान की खेती से किसानों के परिवार की भरण-पोषण भी नहीं होता है।
इस्लामपुर पान अनुसंधान केंद्र के प्रभारी पदाधिकारी डा. एस. एन दास ने बताया कि पूरे बिहार में 439 हेक्टेयर में मगही पान की खेती की जाती है। मूल रूप से बिहार के नालांदा, नावादा, गया, औरंगाबाद, और शेखपुरा जिले में मगही पान की खेती की जाती है। अगर इस्लामपुक की बात की जाए तो लगभग 100 हेक्टेयर के आस-पास पान की खेती की जाती है।
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