Farmer's Day Special: Youth getting higher education are changing the definition of farming.

किसान दिवस विशेष: उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवा बदल रहे खेती-किसानी की परिभाषा

नई दिल्ली। भारत कृषि प्रधान देश है। यहां की 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आश्रित है। देश के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र का अहम योगदान है। वर्तमान समय में खेती करने की परंपरागत तौर तरीकों में बदलाव आया है। जिसके कारण उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। आज के बदलते समय में देखा जा रहा है कि अब उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं का ध्यान भी कृषि के तरफ जा रहा हैं। वे आधुनिक तरीकों से खेती कर इसे नया रूप दे रहे हैं।

बता दें कि आज के बदलते परिवेश में किसान आधुनिक साधनों से और नए तरीकों से खेती कर रहें है। नई पीढ़ी ने शिक्षा के अलावा कृषि कार्य पर भी ध्यान दिया है। इससे उसने खेती के नए साधनों का उपयोग किया और खेती को उन्नत बनाया। नए किसान तो इंजीनियरिंग, एमबीए या स्नातक शिक्षा हासिल कर खेती कर रहे हैं।

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एमए के बाद लौटे खेत में

मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले किसान रंजीत सिंह चावड़ा जो इंदौर में रहकर एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त कर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त हो गए, घर की  जिम्मेदारी और पिताजी की सलाह से उन्होंने अपना रुख खेती की ओर किया और वे 181 बीघा भूमि पर खेती को संभाल रहे हैं और उस पर नए तकनीक से खेती कर रहे हैं।

धर्मेंद्र पांचाल ने नौकरी छोड़ खेती शुरु की

मध्य प्रदेश के ही इंदौर-उज्जैन हाईवे पर स्थित दर्जी कराड़िया गांव के रहने वाले किसान धर्मेंद्र पांचाल बीएससी तक की शिक्षा होने के बाद कुछ साल नौकरी करने लगे। उन्हें लगा कि इससे बेहतर है कि मैं पिता के साथ खेती करूं तो ज्यादा अच्छा होगा। वे अपने परिवार की 20 बीघा जमीन पर खेती करने लगे। धीरे-धीरे वे आधुनिक तरीकों से यह कार्य करने लगे। आज वे सोयाबीन, गेहूं, चना, आलू, प्याज, लहसुन और गोभी बोने लगे।

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इंजीनियर कौस्तुभ ने थामी खेत की डगर

मध्य प्रदेश के इंदौर निवासी ऋषि कौस्तुभ, सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जो अमेरिका और ब्रिटेन के जॉब छोड़कर फिलहाल इंदौर में हैं। उन्होंने इंदौर में देवगुराड़िया के समीप सनावदिया गांव में 20 बीघा भूमि पर जैविक खेती शुरू की थी। उन्होंने गेहूं, चना के साथ सब्जियों पर ज्यादा फोकस किया और जैविक सब्जियों की पैदावार की।

क्यों मनाया जाता है किसान दिवस?

देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा माना जाता है। उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में किसानों के हितों के लिए कई निर्णय किए, चौधरी चरण सिंह के समय में कृषि से संबंधित कई विधेयक और मसौदा दोनों सदनों से तैयार हुआ। चरणसिंह ने “जय युवा, जय किसान” का नारा दिया था। 23 दिसंबर को चरणसिंह के जन्म दिवस पर 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दिन को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। तब से देश में किसान दिवस मनाया जाने लगा।

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